ग्लोबल समिट में तीन सौ करोड़ के निवेश का संकल्प
रनियां में पेपर मिल, शहर में शॉपिंग म़ॉल व वेयरहाउस
शहर के साठ नए उद्यमियों का बनाया संगठन यूथ वर्क्स
कानपुर। किसी भी इनवेस्टर्स समिट में जाने का यह उसका पहला अवसर था। लखनऊ में बड़े-बड़े उद्यमियों को देखकर उसके भी मन में आया कि यदि तरक्कीपसंद विजन के साथ ही कड़ी मेहनत और ईमानदार प्रयास किए जाएं तो वह भी अग्रमि पंक्ति का कारोबारी बनकर देश के विकास के योगदान के साथ ही अपने शहर कानपुर का नाम देश के औद्योगिक क्षितिज तक ले जा सकता है तो क्यों न शुरू कर दी जाए। हालांकि कार्तिक कपूर की पारिवारिक पृष्ठभूमि कारोबारी है। बदलते परिवेश में युवा उद्यमिता विकास की परिभाषा गढने का जज्बा की बाबत कार्तिक ने परिवार को बताया तो उन्हें प्रोत्साहन मिला। पेपर मिल, वेयरहाउस, शॉपिंगमॉल की तैयारी शुरू हो गयी। नये कारोबार का जोखिम तो कार्तिक कपूर को अपने बूते ही उठाना है। कारोबारी प्रबंधन की पढ़ाई विलायत से पढ़कर लौटे इस युवक ने उत्तर प्रदेश ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के दौरान ही अपनी मंशा से सरकारी तंत्र को अवगत करा दिया। कार्तिक ने बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार है। उनसे हुई लंबी बातचीत के प्रमुख् अंश इस प्रकार हैं।
सवाल-यूपी ग्लोबल समिट में कानपुर के लिए प्रस्तावित निवेश के प्रस्ताव से क्या लगता है कि कायाकल्प हो पाएगा?
जवाब-देखिए, मैं तो पॉजिटिव एप्रोच वाला व्यक्ति हूं। अगर समग्रता में देखें तो उत्तर प्रदेश का पूरा औद्योगिक परिदृश्य विकास की नयी करवट ले रहा है। यदि 40 से 50 प्रतिशत भी निवेश के प्रस्ताव भी जमीन पर उतर जाते हैं तो सीन ही बदल जाएगा। कानपुर पर भी यह लागू है। कानपुर में सबसे ज्यादा एमओयू उर्जा, रीयल इस्टेट, डेयरी, पशुपालन, केमिकल में किए गए हैं। निवेशक जिस तरह से रुचि दिखा रहे हैं उससे तो यही संकेत मिलते हैं। ईज ऑफ बिजनेस डूइंग का माहौल बना है।
सवाल-पर कानपुर तो टॉप फाइव में भी नहीं आ सका। निवेशकों ने बहुत ज्यादा रुचि कानपुर में क्यों नहीं दिखायी, आपको क्या लगता है?
जवाब-कानपुर डिफेंस का हब बन चुका है। डिफेंस कॉरीडोर से पुख्ता संभावनाएं दिखीं हैं। थोड़ा सा जोर लगा दिया जाए तो होजरी का हब भी बन सकता है। बल्कि मैं तो एक कदम और आगे जाकर कहता हूं कि टेक्सटाइल उद्योग का स्वरूप कमोबेश वापस लाया जा सकता है। एमएसएमई में तो अपार संभावनाएं हैं। टेक्सटाइल के लिए आप तमिलनाडु के ईरोड क्षेत्र में टेक्सटाइल बाजार कितना फेमस है। हमारे शहर की टेक्सटाइल मिलें सालों से बंद पड़ी हैं। तब तो मेरा जन्म भी नहीं हुआ था। सोचता हूं क्या इनमें से कुछेक का भी रिवाइवल नहीं हो सकता है। यदि ईरोड के कांसेप्ट पर सरकार विचार करे तो संभव है। इसे उत्पादन का बड़े पैमाने पर न सही पर टेक्सटाइल मार्केट का हब तो बनाया ही जा सकता है। केंद्र सरकार विशेषज्ञों को संभावना तलाशने के लिए ईरोड एक बार भेजे तो। मुझे तो उम्मीद है।
सवाल-आप स्वयं जोखिम लेकर 300 करोड़ रुपये का निवेश करने को तैयार बैठे हैं। शुरुआत कानपुर देहात के रनियां से क्यों, वहां पेपर मिल का प्लान है। बाकी क्या करने की योजना है?
जवाब-देखिए हमारे कुछ वरिष्ठ उद्यमी भाई कानपुर देहात का नाम बदलकर ग्रेटर कानपुर किए जाने की मांग कर रहे हैं। नोएडा के बाद ग्रेटर नोएडा बन सकता है तो ग्रेटर कानपुर क्यों नहीं? उद्योग लगेंगे तो स्वरूप भी बदलेगा। फिर देहात शब्द कुछ पिछड़ा क्षेत्र होना ध्वनित करता है। ऐसे बाहरी निवेशक निवेश से कतरा सकते हैं। जबकि कानपुर देहात में उद्योग लगे हैं। सोचा मैं भी यहीं से शुरू करूं। पेपर मिल यहीं पर लगाने का निर्णय लिया है। जनपदीय निवेशक सम्मेलन में 17 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिलने की खबर है। यह क्षेत्र भी बदल रहा है। इससे काफी उत्साहित हूं। तभी पेपर मिल लगाने में निवेश कर रहा हूं। बाकी कानपुर में वेयरहाउस, शॉपिंग मॉल की योजना पर तेजी से काम कर रहा हूं। हमें ईश्वर के साथ ही पिता और चाचा का आशीर्वाद प्राप्त है।