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भाई दूज पर जानें शुभ मुहुर्त , जानें यम दीप क्यों लगाते हैं ?

News jungal desk: एक तरफ जहां भाई बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार जिसमें बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है तो वहीं दूसरी ओर दिवाली के बाद पड़ने वाला भाई दूज का त्योहार का भी एक अलग महत्व है. इसमें भाई की कलाई पर सिर्फ मुरली बंधन और तिलक लगाकर बहनों द्वारा भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन बहनें रोली और अक्षत से भाई का टीका करती हैं. उसके बाद उसे सूखा नारियल भी देती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन यदि विधि-विधान से पूजा की जाए, तो भाई-बहनों के ऊपर से अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है.

भाई दूज के त्यौहार को लेकर अगर आप मुहूर्त को लेकर असमंजस में है तो जान लें एक बार क्या है शुभ मुहूर्त. पंडित भीम शंकर पाराशर कहते हैं कि रक्षा बंधन की तरह भाई-दूज का त्यौहार भी हिंदू समाज में काफी महत्वपूर्ण है और इसकी एक विशेष महत्वता है. क्योंकि राखी की तरह ही भाई दूज के त्यौहार पर भाई की कलाई पर बहनों द्वारा मुरली बंधन बांधी जाती है और माथे पर तिलक लगाया जाता है. वहीं इसके शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो इसके दो शुभ मुहूर्त है. पहला 15 नवंबर को सुबह 7 बजे से 9:22 तक है.

11 से 12 बजे तक है मुहूर्त

वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 12:00 के बीच तक का है. इस दरमियान बहनें अपने भाई के सिर पर तिलक लगा सकती है. रक्षाबंधन की तरह यह त्यौहार बनाया जाता है. इस त्यौहार को यम द्वितीया भी कहते हैं. इस दिन यमराज के नाम से एक दीपक घर के बहार लगाया जाता है.

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