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कोरोना और फ्लू के लक्षणों में अंतर को जानें इन 5 आसान तरीकों से

कोरोना संक्रमण से लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत हो सकती है फ्लू होने पर लोगों को स्वाद और गंध जाने का कोई खतरा नहीं होता है.

News Jungal Desk : देश में कोविड का कहर एक बार फिर बढ़ता जा रहा है । और पिछले 24 घंटों में 11 हजार से ज्यादा संक्रमित मिलने से लोगों में डर का माहौल है । कोविड के साथ इस वक्त फ्लू के मामलों में भी उछाल देखने को मिली है । कोविड और फ्लू दोनों के लक्षणों में काफी समानता होती है । ऐसे में लोग यह नहीं समझ पा रहे कि उन्हें फ्लू हुआ है या कोविड का संक्रमण. दोनों ही कंडीशन में बुखार आता है और अधिकतर लक्षण एक जैसे होते हैं । और आज डॉक्टर से जानेंगे कि कॉमन फ्लू और कोविड के लक्षणों में क्या अंतर होता है और इनकी पहचान कैसे करी जाए ।

नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ एंड वेलनेस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉक्टर सोनिया रावत कहती हैं कि फ्लू और कोविड दोनों के लक्षणों में काफी समानता होती है । लक्षणों के आधार पर दोनों में अंतर पहचानना मुश्किल हो सकता है । दोनों के कुछ लक्षण अलग होते है । कोविड और फ्लू दोनों ही वायरल इंफेक्शन हैं । लेकिन दोनों के वायरस अलग होते हैं । कोविड ज्यादा तेजी से फैलता है और अत्यधिक घातक हो सकता है । दोनों ही इंफेक्शन में लोगों को सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी, सिरदर्द, गला में दिक्कत और शरीर में दर्द होता है । और टेस्ट के जरिए दोनों का अंतर पता लगाया जा सकता है ।

कोविड और फ्लू के लक्षणों में 5 अंतर

– कोविड संक्रमण में कुछ लोगों का स्वाद (Taste) और गंध (Smell) चली जाती है, लेकिन फ्लू में ऐसा नहीं होता है ।
– कोरोना में सांस लेने में दिक्कत, लगातार खांसी, तेज बुखार और ड्राई माउथ हो जाता है. फ्लू में हल्के लक्षण होते हैं।
– फ्लू 4-7 दिनों में ठीक हो जाता है, जबकि कोविड से संक्रमित होने के बाद रिकवरी में कई सप्ताह लग सकते हैं ।
– कोविड संक्रमण में वीकनेस बहुत ज्यादा हो जाती है, जबकि फ्लू में अत्यधिक कमजोरी की समस्या नहीं होती है ।
– कोविड में कई बार बुखार नहीं आता है और लक्षण नजर नहीं आते. लेकिन फ्लू में हर बार लक्षण नजर आते हैं ।

डॉक्टर सोनिया रावत के अनुसार अगर आपको लगातार 3-4 दिनों तक बुखार, खांसी, गले में दिक्कत और अन्य लक्षण नजर आएं और तबीयत में सुधार न हो, तो उसके बाद चेकअप जरूर कराना चाहिए. कई बार लोग दोनों के लक्षणों को नहीं पहचान पाते और कंडीशन ज्यादा सीरियस हो जाती है. इससे बचने के लिए ज्यादा देरी न बरतते हुए टेस्ट कराना चाहिए. इसके अलावा क्वालिफाइड डॉक्टर की बताई गई दवाएं ही लेनी चाहिए ।

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