Krishna Janmashtami 2024: “क्या है कृष्ण जन्माष्टमी का असली कारण? जानिए इस पर्व की छुपी हुई कहानी”

Krishna Janmashtami 2024: हिन्दू धर्म में ऎसी मान्यता है की भगवान विष्णु ने इस धरती में पापियों का नाश करने के लिए बहुत बार अलग अलग अवतार लिए उनमें से ही एक अवतार है भगवान श्री कृष्णा का, जिनका जन्म मथुरा की राजकुमारी देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। लेकिन राजा कंश की जेल में जन्में कान्हा का बचपन गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा की गोद में बीता। राजा कंस से बचाने के लिए वासुदेव ने कान्हा के जन्म के बाद ही अपने चचेरे भाई नंदबाबा और यशोदा को दे दिया था।

happy janmashtami

ऐसा बताया जाता है की श्रीकृष्ण ने अपने जन्म से ही लेकर अपने जीवन के हर पड़ाव पर चमत्कार दिखाए। जिसके चलते श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े कई किस्से हैं, जो मानव समाज को बहुत कुछ सिखाते भी है और इसके साथ ही अधर्म और पाप के खिलाफ सही मार्गदर्शन करते हैं। और इन्ही सब के कारण भगवान् श्री कृष्णा का जन्मदिवस जन्माष्टमी के रूप में उनके भक्तों द्वारा हर वर्ष मनाया जाता है तो चलिए आज की इस खबर में हम आपको बताते है जन्माष्टमी से जुड़ी कुछ रोचक बाते और इसके महत्त्व के बारे में…

कब है कृष्णजन्माष्टमी2024

janmashtami 2024 date

कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की आष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। इस बार यह शुभ अवसर 28 अगस्त, 2024, दिन सोमवार को मनाया जा रहा है।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

janmashtami special

पुराणों के अनुसार , भगवान श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है और इसी के चलते कृष्ण के आशीर्वाद और कृपा को पाने के लिए हर साल भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, मध्य रात्रि में विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। भजन कीर्तन करते हैं और जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है। इसके साथ ही अलग अलग सतानों में इस त्यौहार को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है तो कहीं पर दही हांडी फोड़कर इस त्य्हार को मनाया जाता है

कैसे मनाते हैं कृष्णजन्माष्टमी?

puja vidhi

जन्माष्टमी पर भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। और भगवान् की विधि विधान से पूजा की जाती है , कही कही पर दही हांडी फोड़ने का भी रिवाज होता है |

बाल गोपाल की जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी की तिथि की मध्यरात्रि को घर में मौजूद लड्डू गोपाल की प्रतिमा का जन्म कराया जाता है। फिर विधि अनुसार उन्हें गंगाजल, दूध, दही आदि स्नान कराकर सुंदर वस्त्र पहनाएं जाते हैं। इसके बाद भगवान को फूल अर्पित कर धूप-दीप से वंदन किया जाता है। इसके बाद कान्हा को मिश्री, मक्खन आदि का भोग अर्पित किया जाता है। उन्हें दूध-दही, मक्खन विशेष पसंद हैं। इसके बाद भगवान पूजा करके भगवान के भोग को सबको वितरित किया जाता है। 

क्यों और कैसे मनाते हैं दहीहांडी

dahi handi

देश की कुछ जगहों पर जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का भी आयोजन किया जाता है। आपको बता दें की गुजरात और महाराष्ट्र में दही हांडी का विशेष महत्व है। दही हांडी का इतिहास बहुत अनोखा है। बालपन में कान्हा बहुत शरारती थे। जिसकी बजह से वह पूरे गांव में प्रसिद्ध थे। कान्हा को माखन, दही और दूध बहुत प्रिय था। उन्हें माखन इतना प्रिय था कि वह अपने सखा संग मिलकर गांव के लोगों के घरों से माखन चोरी करके खा जाते थे।

इसके लिए कान्हा से माखन बचाने के लिए वहां की गोपियाँ माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटका दिया करती, लेकिन बाल गोपाल अपने मित्रों के साथ मिलकर एक दुसरे के उपर चढ़के एक पिरामिड बनाकर उसके जरिए ऊंचाई पर लटकी मटकी से माखन चोरी करके आराम से खा लेते थे और भगवान की इन्ही हरकतों को याद करने के लिए जन्माष्टमी में माखन की मटकी पहले की तरह ही उपर उचाई में टांग दिया जाता है इसके बाद फिर लड़के नाचते गाते पिरामिड बनाते हुए मटकी तक पहुंचकर उसे फोड़ देते हैं। इसे दही हांडी कहते हैं,और जो लड़का ऊपर तक जाता है, उसे भगवान कृष्ण के गोविंदा नाम से संबोधित किया जाता है |

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