Lal Imli Kanpur News: ‘मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट’ कहलाने वाले कानपुर की शान और 150 साल पुरानी लाल इमली को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिर से शुरू करने की घोषणा की है |
कानपुर की लाल इमली मिल (Lal Imli Kanpur) में आने वाले समय में सेना, पुलिस की वर्दी के अलावा सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की यूनिफार्म बन सकती है।
मिल को पुनः चलाने (lal imli kanpur reopen) के लिए जून 2011 में बनाए गए 338 करोड़ रुपये के रिवाइवल प्लान को आधार बनाया जा सकता है। इसके चलते सितंबर के अंतिम सप्ताह में बीआईसी के उच्च अफसर के अलावा कपड़ा मंत्री के आने की भी संभावना है।
29 अगस्त को शहर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister) ने लाल इमली मिल को फिर से शुरू करने की घोषणा की थी। उन्होंने इसके लिए बड़ा पैकेज लाने की बात कही है। ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन (british india corporation limited) के अधीन संचालित होने वाली लाल इमली में 2012 से उत्पादन बंद है।
उत्पादन बंद होने से पहले मिल (Lal Imli Mill) में प्रतिदिन तीन सौ मीटर से ज्यादा कपड़े का उत्पादन होता था। एक समय में मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट (Manchester of East) की इस मिल में तीन शिफ्ट में आठ हजार से ज्यादा कर्मचारी काम किया करते थे। तब यहाँ तीन हजार मीटर से ज्यादा प्रतिदिन कपड़ा तैयार होता था।
पर्यावरणीय चिंताओं को देखते हुए सिलाई से जुड़ी गतिविधियों का संचालन फिर से शुरू किया जा सकता है। कपड़ा तैयार करने में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज जेडएलडी प्लांट, सीएनजी चलित सीईटीपी आदि की जरूरत होगी।
मिल में अभी भी छह विदेशी मशीनें है सील
सूत्रों की मानें तो मिल (lal imli factory kanpur) चलाने से पहले इसका पूर्ण सर्वे किया जाएगा। इसके लिए कमेटी बनायी जाएगी | यह कमेटी देखेगी कि मिल चलाने के लिए किन किन तरह की चीजों की आवश्यकता हैं।
मौजूदा समय में मिल में छह विदेशी मशीनें अभी भी सील पैक रखी हैं। जो कुछ साल पहले ही खरीदी गईं थीं। इसके अलावा 12 मशीनें पहले से मिल में लगी हुई हैं। 2011 में 338 करोड़ के रिवाइवल प्लान (lal imli revival project) के जरिये मिल चलाने की रूपरेखा बनी थी।
2012 से मिल में बंद है उत्पादन
मिल (Lal Imli) के रिवाइवल प्लान में मशीनों की मरम्मत, कर्मचारियों का वेतन, कच्चा माल खरीद आदि की प्रक्रिया तैयार की गई थी। बीआईसी की फ्री होल्ड सरप्लस जमीनों की बिक्री करने की बात की गई थी, लेकिन तत्कालीन सरकार ने जमीनों को फ्री होल्ड नहीं किया।
इससे चलते संपत्तियों की बिक्री नहीं हो सकी। 2012 में मिल में उत्पादन बंद कर दिया गया था। लाल इमली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि मिल चलाने के लिए बाजार का होना बेहद जरूरी है।
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