पहले चरण का मतदान शुरू, आठ मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर…

News jungal desk: 2024 लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 102 सीटों पर मतदान शुरू हो चुका है। यहाँ पिछले यानी 2019 में 102 सीटों में से 45 पर संप्रग और 41 पर राजग ने जीत दर्ज की थी।


इस चुनाव में आठ केंद्रीय मंत्रियों– नितिन गडकरी, किरेन रिजिजू, सर्बानंद सोनोवाल, संजीव बालियान, जितेंद्र सिंह, भूपेन्द्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन, दो पूर्व मुख्यमंत्री – बिप्लब कुमार देब (त्रिपुरा) और नबाम तुकी (अरुणाचल प्रदेश), और तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन की सीटें भी दांव पर होंगी। पहले चरण में तमिलनाडु (39), उत्तराखंड (5), अरुणाचल प्रदेश (2), मेघालय (2), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (1), मिजोरम (1), नागालैंड (1), पुडुचेरी (1), सिक्किम (1) और लक्षद्वीप (1) राजस्थान में 12, उत्तर प्रदेश में 8, मध्य प्रदेश में 6, असम और महाराष्ट्र में 5-5, बिहार में 4, पश्चिम बंगाल में 3, मणिपुर में 2, जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा में एक-एक सीट पर मतदान होगा।


प्रथम चरण के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के अभियान का नेतृत्व किया। चुनाव प्रचार खत्म होने तक पीएम मोदी 36 रैलियां और 7 रोड शो कर चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह अब तक 22 सार्वजनिक कार्यक्रम कर चुके हैं, जिनमें 8 रोड शो और 14 जनसभाएं शामिल हैं। राजनाथ सिंह ने 12 राज्यों में 26 जनसभाएं और 3 रोड शो किए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 18 रैलियां, 3 रोड शो और 4 संगठनात्मक बैठकें की हैं।


बिना लहर का चुनाव


अबकी कोई लहर नहीं महसूस की जा रही है या दिख रही है। जैसा कि 2014 और 2019 में दिखी थी। वोटिंग ट्रेंड से शाम तक पता चल जायेगा। एक बात है पब्लिक में महंगाई, बेरोजगारी और भ्र्ष्टाचार को लेकर दबी जुबान से चर्चा जरूर है। तो क्या यह अंडर-करंट है? अभी कहना थोड़ा जल्दबाजी होगी। मोदी का कद संगठन से बड़ा मन जाता है। चहुंदिश उनकी गारंटी की गूंज-अनुगूंज है। किसी को भी टिकट देकर उसे जिताने का आत्मविश्वास उनमें एयर उनकी बॉडी लैंग्वेज में झलकता है। इस बार भी उन्हें परीक्षा देनी है और कॉपी जांचेगी जनता। मुद्दा विहीन चुनाव सांसदों की एन्टी इंकम्बेंसी की तरफ मुड़ता दिखने लगा है। यानी लोकलाईजेशन। ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ का नैरेटिव दिशा बदल रहा है। संभव है कि 81 करोड़ को मुफ्त राशन से तैयार लाभार्थी वोट बैंक करिश्मा दिखा सकता है। मतदाता की खामोशी क्या संकेत दे रही है?

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