डिजिटल सेवाओं की बढ़ती पहुंच के साथ ही ऑनलाइन ठगी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. आलम ये है कि साइबर अपराधी अब पढ़े-लिखे और तकनीक के जानकारों तक को अपने झांसे में ले लेते हैं. हालिया मामला तो इन्फोसिस जैसी दिग्गज टेक कंपनी के टेक एग्जीक्यूटिव यानी तकनीक के महारथी के साथ पेश आया है ।
News jungal desk :–डिजिटल इंडिया में ऑनलाइन लुटेरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है. पहले तो कहा जाता था कि तकनीक के बारे में कम जानने वाले ही इन साइबर लुटेरों के शिकार होते हैं, लेकिन अब तो हजारों ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां हाई एजुकेटेड और तकनीक के महारथियों को भी लपेटे में ले लिया और उनका खाता खाली कर लिया. हालिया मामला इन्फोसिस (Infosys) के टेक एग्जीक्यूटिव के साथ पेश हुआ, जहां साइबर अपराधियों ने झांसे में लेकर उनके खाते से करीब 4 करोड़ रुपये उड़ा दिए है ।
टेक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इन्फोसिस में सीनियर टेक एग्जीक्यूटिव ने पुलिस को दी जानकारी में बताया कि साइबर अपराधियों ने आधार कार्ड के जरिये झांसे में लेकर उनसे 3.7 करोड़ रुपये लूट लिए. आरोपियों ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) और मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया है । जिसके बाद कुछ जानकारी मांगी और खाते से पैसे निकाल लिए थे ।
कैसे हुआ पूरा खेल
सीनियर एग्जीक्यूटिव ने बताया कि उनके पास 21 नवंबर को स्कैमर्स की कॉल आई और उनके खिलाफ मुंबई पुलिस थाने में मनी लांड्रिंग की रिपोर्ट किए जाने की बात कही है । स्कैमर्स ने बोला कि उनके आधार कार्ड की डिटेल पर यह केस दर्ज किया गया है । आरोपियों ने उनसे विभिन्न खातों में 3.7 करोड़ रुपये डालने की बात कही है ।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कॉल करने वाले स्कैमर्स ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताया और कहा कि जो सिम कार्ड वह चला रहे हैं, उसका इस्तेमाल कई गैरकानूनी विज्ञापनों में हुआ है । और जब शिकायतकर्ता ने कहा कि यह मोबाइल नंबर उनका नहीं है तो साइबर अपराधियों ने बोला कि इस सिम से जुड़े आधार कार्ड की डिटेल उन्हीं की है ।
फर्जी पुलिस ने किया ‘खेल’
इसके बाद आरोपियों ने कॉल ट्रांसफर कर दी, जो खुद को मुंबई पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी बता रहा था. उसने टेक एग्जीक्यूटिव को मुंबई स्थित सीबीआई ऑफिस आने के लिए कहा और ऐसा नहीं करने पर उसे गिरफ्तार करने की धमकी भी दी. इसके बाद शिकायतकर्ता को एक वीडियो कॉल पर आने के लिए कहा, जहां पुलिस स्टेशन और यूनिफॉर्म पहने कुछ पुलिस कर्मचारी दिखाई दे रहे थे. इन फर्जी पुलिस कर्मचारियों ने अपना आईडी और शिकायतकर्ता के खिलाफ लिखी एफआईआर दिखाई.
फिर शुरू हुआ पैसों का मोलभाव
शिकायतकर्ता ने कहा कि आरोपियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए उनसे पैसे भेजने की बात कही. साथ ही यह दावा किया कि मनी लांड्रिंग केस में एक बार उनके बैंक खातों का ऑडिट पूरा हो जाएगा तो यह पैसे वापस कर दिए जाएंगे. इसके बाद टेक एग्जीक्यूटिव ने 21 से 23 नवंबर के बीच आरोपियों को 3.7 करोड़ रुपये भेज दिए. बाद में उन्हें अपने साथ हुई धोखाधड़ी का अहसास हुआ तो 25 नवंबर को पुलिस थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई.
साइबर पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है और इसकी जांच चल रही है. साथ ही आरोपियों के बैंक खाते भी फ्रीज करा दिए गए हैं. फिर भी पुलिस जांच टीम का कहना है कि ऐसे मामलों में सजग रहकर ही आप खुद को ठगने से बचा सकते हैं. साथ ही आधार या पैन जैसी जानकारियों को किसी के भी साथ साझा करने से बचना चाहिए ।
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