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महाकुंभ का समापन और पीएम मोदी का ब्लॉग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में संपन्न हुए महाकुंभ को लेकर एक विस्तृत ब्लॉग लिखा।(Maha Kumbh 2025) उन्होंने इसे ‘एकता का महाकुंभ’ करार दिया और कहा कि इस आयोजन ने समाज के हर वर्ग और हर क्षेत्र के लोगों को एक किया। इस महाकुंभ को सफल बनाने के लिए देशवासियों द्वारा किए गए परिश्रम से प्रभावित होकर पीएम मोदी ने सोमनाथ के दर्शन करने का निर्णय लिया और हर भारतीय के लिए प्रार्थना करने की बात कही।
एकता और आस्था का संगम
प्रधानमंत्री ने अपने ब्लॉग में लिखा कि महाकुंभ का समापन एकता के महायज्ञ का पूर्ण होना है। उन्होंने कहा कि पूरे 45 दिनों तक 140 करोड़ देशवासियों की आस्था इस पर्व से जुड़ी रही। उन्होंने इसे एक भारत-श्रेष्ठ भारत का चिर स्मरणीय दृश्य बताया, जिसमें करोड़ों देशवासियों ने आत्मविश्वास के साथ भाग लिया।
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राम मंदिर से महाकुंभ तक एकता की मिसाल
Maha Kumbh 2025 : पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने वहां देवभक्ति से देशभक्ति की बात की थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान यह एकता और स्पष्ट रूप से दिखाई दी। संत-महात्माओं, महिलाओं, युवाओं, और बुजुर्गों की भागीदारी इस आयोजन की भव्यता को और बढ़ा गई।
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प्रयागराज और श्रृंगवेरपुर ऐतिहासिक समरसता का प्रतीक
महाकुंभ के आयोजन स्थल प्रयागराज के समीप श्रृंगवेरपुर का भी ऐतिहासिक महत्व बताया गया, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। प्रधानमंत्री ने इसे भक्ति और सद्भाव का संगम बताया, जो आज भी एकता और समरसता की प्रेरणा देता है।
महाकुंभ विश्व के लिए एक अद्भुत आयोजन
पीएम मोदी ने कहा कि प्रयागराज में हुआ महाकुंभ आयोजन आधुनिक युग के प्रबंधन विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के लिए अध्ययन का विषय है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस आयोजन की तुलना विश्व में किसी अन्य कार्यक्रम से नहीं की जा सकती। करोड़ों लोगों के बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के संगम तट पर पहुंचने और स्नान करने की अद्वितीय परंपरा ने पूरी दुनिया को अचंभित कर दिया।
युवा पीढ़ी और भारतीय संस्कृति
प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि बड़ी संख्या में भारत की युवा पीढ़ी प्रयागराज पहुंची। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति और संस्कारों को आगे बढ़ाने का संकल्प बताया और कहा कि युवा पीढ़ी इस दायित्व को समझती और निभाने के लिए समर्पित है।(Maha Kumbh 2025)
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महाकुंभ की ऐतिहासिक परंपरा
पीएम मोदी ने महाकुंभ की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि हर पूर्णकुंभ में समाज की परिस्थितियों पर ऋषि-मुनियों और विद्वानों द्वारा विचार किया जाता था। हर 6 साल में अर्धकुंभ के दौरान समीक्षा की जाती थी और 144 वर्षों के अंतराल पर महाकुंभ में पुराने विचारों को त्यागकर नए युगानुकूल परिवर्तन किए जाते थे। इस बार का महाकुंभ भी विकसित भारत के नए अध्याय का संदेश लेकर आया है।
एकता का संदेश और भारत का आगामी भविष्य
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ में हर जाति, क्षेत्र और विचारधारा के लोग एक साथ आए, जिससे ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना मजबूत हुई। अब इसी एकता को विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रयोग करने का समय आ गया है।
गंगा, यमुना और नदियों की स्वच्छता का संकल्प
पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों की पवित्रता और स्वच्छता की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हर नदी को जीवनदायिनी मां का स्वरूप मानते हुए हमें अपने स्तर पर नदी उत्सव मनाने चाहिए, जिससे इनकी स्वच्छता बनी रहे।
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महाकुंभ को सफल बनाने वाले लोगो का अभिनंदन
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश सरकार, प्रशासन, सफाईकर्मियों, पुलिसकर्मियों, नाविकों, वाहन चालकों, भोजन बनाने वालों और विशेष रूप से प्रयागराज के निवासियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रशासन और जनता ने मिलकर इस एकता के महाकुंभ को सफल बनाया।
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महाकुंभ की आध्यात्मिक चेतना और उसका भविष्य
पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग के अंत में कहा कि महाकुंभ की आध्यात्मिक चेतना और एकता की धारा गंगा की तरह निरंतर बहती रहेगी। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में जिस प्रकार करोड़ों देशवासियों ने एकता का संदेश दिया, वह भारत के उज्ज्वल भविष्य की नींव रख चुका है। अब उन्हें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर हर भारतीय के लिए प्रार्थना करने जाना है।