टिप्पणी: सरनेम पर चर्चा यानी संसद के वक्त की बर्बादी

महेश शर्मा

आप सर नेम में बाबा का गोत्र लेते हैं कि नाना का? इस सवाल का जवाब कोई भी नागरिक दे देगा। पर यदि चर्चा संसद में होंगी तो इसी से विश्व को अंदाजा लग जाएगा कि भारत की संसद फिजूल की चर्चा भी कर लेता है। 9 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब नेहरू सरनेम पर सवाल उठाया तो कुछ हंसे तो कुछ ने इसे मोदी का राहुल पर बयानी प्रहार ठहराते हुए मेज थपथपाकर स्वागत किया। बुनियादी सवाल है कि यदि इस बहस को यदि सही भी कहा जाए तो क्या अपने देश के कल्चर में मां के पक्ष का गोत्र या उपनाम लगाने की परंपरा है? मान लीजिए राहुल गांधी की पीढ़ी ने अपने पिता के नाना नेहरू का सरनेम रखा होता तो सदन में यह चर्चा हो रही होती कि अपने पिता के पिता यानी दादाजी का सरनेम रखने में क्या दिक्कत थी। मोदी ने राज्यसभा में कहा, ” उनकी पीढ़ी का कोई व्यक्ति नेहरू सरनेम रखने से डरता क्यों है? क्या शर्मिंदगी है, नेहरू सरनेम रखने से ? “
बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने सरनेम लिखना छोड़ दिया। जाति तोड़ो समाज जोड़ो का नारा ही डा.राममनोहर लोहिया ने दिया था। तो जिस समाजवादी सरंचना की कल्पना की गयी थी उसमें तो सरनेम पर चर्चा भी मुनासिब नहीं समझी जाती है। यहां संसद में बहस चल रही है। इस देश में नेहरू का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की एक ही बेटी थी इंदिरा और उनके बच्चों राजीव और संजय के साथ सामान्य रूप से उनके पिता फिरोज गांधी का सरनेम गांधी लगा। सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति का इतना पर्सनल हो जाना, यह बात लोगों के गले नहीं उतरी। अपमान व्यक्ति और पतन मूल्यों व भारत की सभ्यता और संस्कृति का होता है।
बहरहाल कांग्रेस ने गांधी परिवार द्वारा नेहरू नाम का उपयोग नहीं करने पर की गई टिप्पणी के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा और कहा कि उन्हें भारतीय संस्कृति की बुनियादी समझ नहीं है। पार्टी ने सवाल उठाया है कि भारत में कौन अपने नाना के उपनाम का उपयोग अपने नाम के साथ करता है। एक बार फिर दोहरा दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में एक भाषण में पूछा था कि नेहरू उपनाम का उपयोग करने में गांधी परिवार को शर्म क्यों आती है? इसके एक दिन बाद शुक्रवार को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, केवल भगवान ही इस देश को बचा सकता है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘ऐसे जिम्मेदार पद पर बैठा कोई व्यक्ति, जो भारत की संस्कृति को न जानता है, न समझता है, वही ऐसी बात बोलेगा। आप देश के किसी भी व्यक्ति से पूछ सकते हैं कि नाना का उपनाम कौन लगाता है?’सुरजेवाला ने कहा, ‘अगर उन्हें भारत की संस्कृति की इतनी बुनियादी समझ भी नहीं है तो इस देश को भगवान ही बचा सकता है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में अपने भाषण में कांग्रेस पर निशाना साधा था, जिसने राष्ट्र निर्माण में जवाहरलाल नेहरू के प्रयासों की अनदेखी के लिए सरकार की आलोचना की थी। प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘अगर नेहरू जी का नाम हमारे द्वारा छोड़ दिया जाता है, तो हम अपनी गलती सुधार लेंगे, क्योंकि वह देश के पहले प्रधानमंत्री थे, लेकिन मेरी समझ में नहीं आता कि नेहरू सरनेम रखने से उनके (गांधी परिवार) गोत्र में कोई क्यों डरता है? क्या नेहरू उपनाम रखने में कोई शर्म है? शर्म किस बात की जब (गांधी) परिवार इतनी बड़ी शख्सियत को स्वीकार करने को तैयार नहीं है तो आप हमसे सवाल क्यों करते हैं? प्रधानमंत्री ने गैर-कांग्रेसी दलों के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों को गिराने के लिए संविधान के अनुच्छेद 356 का बार-बार उपयोग करने के लिए नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भी आलोचना की थी।

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