पं. दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय में योग-ध्यान पर तीन दिवसीय कार्यशाला
हार्टफुलनेस प्रशिक्षकों के साथ आए बच्चों ने अपनी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया
छात्रावास में रह रहे 200 बच्चों ने सिखा योग और ध्यान

News jungal desk: कानपुर, सर्वाँगीण विकास के लिए सिर्फ शारीरिक और मानसिक अवस्था का अच्छा होना ही काफ़ी नहीं. हमें भावनात्मक रूप से भी मजबूत होना होगा. विषम परिस्थितियों में
सिर्फ योग, ध्यान और आध्यात्म ही हमें संतुलन की अवस्था में रख सकता है. यह विचार
पंडित दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय के छात्रावास में रह रहे 200 बच्चों के लिए योग और ध्यान पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में रखे गए.

हार्टफुलनेस संस्थान के प्रशिक्षकों ने बताया कि शिथिलीकरण तकनीक पढ़ाई या कोई अन्य कार्य को बेहतर तरीके से करने के लिए तैयार करती है. ध्यान हमें लक्ष्य पर केंद्रित करने में मदद करता है. हमारी याददाश्त अच्छी हो जाती. समस्याओं और चिंताओं में उलझने के बजाय हम समाधान की ओर बढ़ते हैं. मन का भटकना बंद हो जाता है. जटिलताओं के हट जाने से व्यवहार में मधुरता आती है. स्वीकार्यता विकसित होती है. सुबह के वक्त नियमित 20 मिनट ध्यान के अभ्यास से शुरुआत कर सकते हैं. क्लीनिंग एवं निर्मलीकरण की तकनीक से हम परेशान या उत्तेजित करने वाले विचारों से मुक्त होना सीखते हैं। यह हमारे निद्रा चक्र को सुधारता है। प्रार्थना हमें अपने ध्येय की याद में रखता है. प्रार्थना सुबह ध्यान और रात सोने से पहले करना है. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग और याददाश्त को अच्छा रखने के लिए ब्रेन के व्यायामों का अभ्यास कराया गया.

आंख में पट्टी बांधकर गेंद रंग और किताब में लिखे को पढ़ा

6वीं क्लास की छात्रा विदुषी और छात्र कृष्णा ने डेमो के माध्यम से हृदय जुड़कर हर कार्य करने और ब्रेन के व्यायाम से होने वाले लाभ को प्रैक्टिकल के माध्यम से दिखाया. विदुषी ने आंख में पट्टी बांधकर गेंद का रंग और कृष्णा ने किताबों में लिखे को पढ़कर सुनाया और अचरज में सबको डाल दिया.
हार्टफुलनेस संस्थान की ओर से आभा श्रीवास्तव, ब्रह्मप्रकाश, डॉ. एपी सिंह, डॉ. यज्ञेश, ऋषि प्रकाश और दीक्षा श्रीवास्तव एवं विद्यालय के शिक्षक उपस्थित रहे.

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