एक विशालकाय उल्कापिंड धरती की कक्षा से अगले हफ्ते टकराने वाला है. NASA के मुताबिक इस उल्कापिंड का आकार शंघाई टावर जितना विशाल हो सकता है, यानि ये कम से कम 632 मीटर ऊंचा है.
News Jungal Desk: अंतरिक्ष (Space Secrets) की दुनिया बहुत से रहस्यों से भरी हुई है. कभी किसी एस्टेरॉयड (Asteroid Coming to Earth) के धरती की ओर बढ़ने से खतरा सामने आ जाता है, तो कभी कोई नया तारा, ब्लैकहोल या ग्रह वैज्ञानिकों की नज़र में आ जाता है. हाल ही में खगोलशास्त्रियों ने चेतावनी जारी की है कि एक भारी-भरकम उल्का पिंड धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जो उसकी कक्षा से अगले हफ्ते टकरा सकता है.
NASA के मुताबिक इस विशालकाय एस्टेरॉयड का आकार दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बिल्डिंग शंघाई टावर के बराबर है. ये अगले हफ्ते में धरती की कक्षा से टकराते हुए आगे बढ़़ जाएगा. वर्ष 2015 में बने शंघाई टावर की ऊंचाई 632 मीटर है और यह उल्कापिंड भी इसी के बराबर है. आशंका जताई जा रही है कि यह 4 अगस्त को धरती की कक्षा से टकराकर गुजरेगा.
सूत्रों के मुताबिक इस उल्कापिंड का नाम QL433 रखा गया है और यह बेहद तेज़ी से धरती की ओर बढ़ रहा है. इसका आकार बहुत बड़ा है. यह हर 6 साल में एक बार शुक्र ग्रह से ब्लास्ट होता है और हर 3 साल में धरती के पास से होकर गुजरता है. इससे पहले साल 2020 की जुलाई में भी ये धरती से होकर गुजरा था. QL433 नाम का यह उल्कापिंड करीब 47,232 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से शंघाई टावर की ओर तेजी से बढ़ रहा है.
RedShift की ट्रैकिंग रिपोर्ट के अनुसार एस्टेरॉयड को “potentially hazardous asteroid” की श्रेणी में रखा गया है यानि यह एक ऐसा ऑब्जेक्ट है, जो धरती के काफी पास आ सकता है. राहत की बात यह है कि इसका मतलब ये नहीं है कि ये विशालकाय एस्टेरॉयड धरती से टकराकर उसे तबाह कर देगा बल्कि नासा को इस पर नज़र रखने की ज़रूरत है. इसे अब तक 233 बार धरती के किनारे से गुजरते हुए देखा गया है लेकिन 1905 में इस पर वैज्ञानिकों का ध्यान गया था.
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