Morbi Bridge Tragedy: मोरबी ब्रिज हादसे की जांच में जुटी SIT की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। मोरबी पुल के पानी में गिरने की वजह 49 में से 22 केबलों में लगी जंग थी।
Morbi Bridge Tragedy: मोरबी ब्रिज हादसे की जांच में जुटी SIT की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पानी में गिरे ब्रिज के 49 में से 22 केबलों में जंग लगी थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसा लगता है कि ब्रिज गिरने से पहले ही तार टूट गए थे। बता दें कि मोरबी पुल के मच्छू नदी में गिरने से 134 लोगों की मौत हो गई थी।
SIT की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मरम्मत कार्य को शुरू करने से पहले पुल के मेन केबल और वर्टिकल सस्पेंडर्स की उचित जांच नहीं की गई थी। मरम्मत कार्य के दौरान, पुराने सस्पेंडर्स को ही नए सस्पेंडर्स के साथ वेल्ड किया गया था। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पुल के रखरखाव का जिम्मा जिस कंपनी को सौंपा गया था उसने गैर सक्षम लोगों को आउटसोर्स किया था जिसकी वजह से इतना बड़ा हादसा हो गया, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई।
मामले में 1262 पेजों की दायर की गई थी चार्जशीट
बता दें कि अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) ने मोरबी में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के पुल के नवीनीकरण, मरम्मत और संचालन का ठेका हासिल किया था। इसमें जनवरी में 1,262 पेजों की चार्जशीट दायर की गई थी, जिसमें ओरेवा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर जयसुख पटेल को बतौर आरोपी शामिल किया गया था। चार्जशीट दायर होने के बाद जयसुख पटेल ने मोरबी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था।
SIT ने की थी गाइडलाइन्स की सिफारिश
पुल में विसंगतियों की ओर इशारा करने के अलावा, एसआईटी की रिपोर्ट ने कुछ दिशानिर्देशों की सिफारिश भी की थी जिसमें सुझाव दिया गया कि सभी सार्वजनिक ढांचों के लिए एक रजिस्टर रखा जाना चाहिए एवं उन ढांचों का समय-समय पर ऑडिट भी किया जाना चाहिए। एक उचित एसओपी भी इस सिलसिले में विकसित किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि जनता द्वारा उपयोग की जा रही किसी भी संरचना का समय-समय पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा निरीक्षण अवश्य किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एक निश्चित समय में पुल तक पहुंचने वाले व्यक्तियों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था एवं पुल पर अप्रतिबंधित आवाजाही के लिए टिकटों की बिक्री पर भी किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं था।