कानपुर देहात में मां और बेटी की जलकर मौत गई थी, जिसमें कानपुर पुलिस अधिकारियों की भी बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। मामले के तूल पकड़ने के बाद डिप्टी सीएम द्वारा जांच एवं कठोरतम कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। फिर भी मामले में दर्ज एफआईआर रिपोर्ट में पुलिस की भूमिका पर संदेह हो रहा है।
News Jungal Media desk: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के मैथा तहसील के अंतर्गत मड़ौली पंचायत में मां और बेटी की जिंदा जलने से मौत हो गई. घटना के दौरान चालहा गांव में जमीन से अवैध कब्जा हटाने के लिए पुलिस गई थी. इस दौरान पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की टीम के सामने कब्जेदार की झोपड़ी में आग लग गई जिससे दोनों मां-बेटी की बुरी तरह जलने से मौत गई. मामले ने अब तूल पकड़ा है. दोनों के परिजनों ने मुख्यमंत्री योगी को मौके पर बुलाने की मांग की है और साथ ही जिले की डीएम और जिला प्रशासन से नाराज परिजनों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग भी रखी है. पूरे मामले में अब प्रशासन बैकफुट पर आ चुका है और कानपुर मंडल के कमिश्नर लगातार परिजनों को समझाने में जुटे हुए हैं.
दर्ज एफआईआर में नदारद पुलिस अधिकारियों की जानकारियां
सीएम ब्रजेश पाठक ने मामले का संज्ञान लिया और पीड़िता के परिजनों से बात करके उन्हें निष्पक्ष जांच एवं कठोरतम कार्रवाई का आश्वासन भी दिया। इसके बावजूद मामले में पहले से ही दोषी नजर आ रही कानपुर पुलिस अभी भी कार्रवाई में लापरवाही कर रही है। दर्ज एफआईआर में कई लोगों को आरोपी बनाया गया है। जिसमें एसडीएम सहित 4 लेखपाल, एस. ओ. दिनेश कुमार गौतम तथा अन्य पुलिस साथियों के पिता का नाम सहित पूर्ण पते की जानकारी एफआईआर से नदारद रखी गई है। ऐसे में, पुलिस की कार्रवाई पर संदेह होना तो लाजिमी ही है।
सरकारी भर्ती के समय जमा दस्तावेजों में होती है पूर्ण जानकारी फिर क्यों गायब जानकारियां
ग्रेड ‘ए’ से लेकर ग्रेड ‘डी’ तक किसी भी सरकारी पद में भर्ती के लिए जमा दस्तावेजों में संपूर्ण जानकारियां लिखी होती हैं, फिर भी पुलिस डिपार्टमेंट ने एफआईआर में बड़े पुलिस अधिकारियों के बारे में जानकारी सही तरह से व्यक्त नहीं की। एफआईआर में कब्जेदारों के पिता एवं पता की विस्तार से जानकारी दी गई है, लेकिन पुलिस अधिकारियों के नामों के अतिरिक्त कोई भी अन्य जानकारी व्यक्त नहीं की गई है।
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