India Bangladesh trade relations

Muhammad Yunus Government :भारत के लिए शेख हसीना का जाना और मोहम्मद यूनुस का आने का क्या असर होगा

Muhammad Yunus Government :बांग्लादेश में गुरुवार को अंतरिम सरकार का शपथ ग्रहण होगा | इस सरकार के मुखिया नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस होंगे | ऐसे मे जानते हैं कि बांग्लादेश की कुर्सी से शेख हसीना का जाना भारत के लिए कितना बड़ा झटका है?

इस बात की शायद किसी ने कल्पना भी न की हो कि 15 साल से सत्ता में रहने वालीं प्रधानमंत्री को इस तरह से अपना देश छोड़कर जाना पड़ेगा | बीते सोमवार को शेख हसीना ने पहले तो प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया और फिर बांग्लादेश भी छोड़ दिया | बांग्लादेश के इतिहास में ये पहली बार है जब किसी प्रधानमंत्री को सत्ता गंवाने के बाद देश छोड़ना पड़ा |

Muhammad Yunus Government

ये हैरान इसलिए भी करता है क्योंकि इसी साल जनवरी में हुए चुनाव में शेख हसीना की पार्टी आवामी चुनाव में दो तिहाई से ज्यादा सीटें जीती थीं | हसीना लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री चुनी गई थीं | लेकिन सात महीने के भीतर ही शेख हसीना को अपना देश छोड़कर भागना पड़ा |

गुरुवार को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार (Muhammad Yunus Government) की शपथ होगी | इस सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस होंगे | गुरुवार को यूनुस के साथ-साथ 15 और सदस्य भी शपथ भी लेंगे | अगले कुछ महीनों में बांग्लादेश में फिर से चुनाव होंगे |

फिलहाल, शेख हसीना भारत में हैं | बताया जा रहा है कि कुछ दिन में शेख हसीना यूरोप के किसी देश में शरण ले सकती हैं | खैर, बांग्लादेश में जिस तरह के हालात हैं, उसका असर भारत पर भी पड़ने की संभावना है | भारत के पड़ोसी मुल्कों में बांग्लादेश ही ऐसा देश था, जहां न सिर्फ राजनीतिक स्थिरता थी, बल्कि भारत-बांग्लादेश के रिश्ते भी मजबूत थे |

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भारत के लिए कितना बड़ा झटका? (Sheikh Hasina’s resignation analysis)

बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता जाना भारत के लिए एक बड़ा (Muhammad Yunus Government) झटका है | बांग्लादेश का निर्माण भारत की मदद से हुआ था और तभी से भारत-बांग्लादेश के रिश्ते बेहतरीन थे | पिछले साल G20 समिट में भारत ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को स्पेशल गेस्ट के तौर पर बुलाया था | लेकिन अब शेख हसीना का सत्ता में न होना भारत के लिए मुश्किले खड़ी कर सकता है |

Sheikh Hasina's resignation analysis

बांग्लादेश की सियासत में इस वक्त दो ही चेहरे बड़े हैं | आवामी लीग की शेख हसीना और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की खालिदा जिया | साढ़े तीन दशकों से बांग्लादेश की सत्ता में कभी खालिदा जिया तो कभी शेख हसीना रही है |

लेकिन भारत के लिहाज से बांग्लादेश की सत्ता में शेख हसीना (sheikh hasina news) का रहना ज्यादा फायदेमंद है | शेख हसीना भारत के ज्यादा करीब रहीं हैं |

पिछले महीने शेख हसीना चीन के दौरे पर गई थीं, लेकिन ये दौरा बीच में ही छोड़कर शेख हसीना वापस आ गई थीं | लौटते ही शेख हसीना ने अहम ऐलान किया था | उन्होंने कहा तीस्ता प्रोजेक्ट में भारत और चीन दोनों ही देश की दिलचस्पी है, लेकिन वो चाहती हैं कि इसे भारत पूरा करे |

दूसरी ओर, खालिदा जिया की बीएनपी का झुकार इस्लामिक कट्टरपंथ की तरफ ज्यादा माना जाता है | बीएनपी भारत से ज्यादा पाकिस्तान के करीबी रहती है | और इससे चीन को फायदा होता है, क्योंकि पाकिस्तान उसका अच्छा दोस्त है |

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भारत का क्या-क्या दांव पर लगा है? (Indo-Bangladesh Trade “Halted” Amid Crisis)

2009 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री (sheikh hasina relation with India) बनने के बाद से भारत और बांग्लादेश के रिश्ते और मजबूत हुए हैं | शेख हसीना की सरकार में बांग्लादेश में न सिर्फ भारत विरोधी आतंकी गुटों को खत्म किया गया, बल्कि इस दौरान भारत -बांग्लादेश के बीच आर्थिक संबंध भी बेहतर हुए |

भारत और बांग्लादेश के बीच जबरदस्त व्यापर रहा है | अच्छी बात यह है कि बांग्लादेश उन देशों में है ,जिनके साथ भारत फायदे में रहा है | क्योंकि भारत वहां से कम चीजें खरीदता था, लेकिन बेचता ज्यादा था |

sheikh hasina relation with India

2023-24 में भारत ने बांग्लादेश को 15,268 करोड़ रुपये का सामान इम्पोर्ट किया था | जबकि, बांग्लादेश को 91,614 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट किया था | यानी, पिछले साल भारत और बांग्लादेश के बीच 1.06 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ था | 2024-25 में अप्रैल और मई के दो महीनों में ही दोनों देशों के बीच 17 हजार करोड़ रुपये (India-Bangladesh Trade Crisis) से ज्यादा का कारोबार हो चुका है |

अब बांग्लादेश के मौजूदा हालातों का असर बज़िनेस पर पड़ने की संभावना है | दो दिन से बॉर्डर भी बंद है और जब तक हालात नहीं सुधरते, दोबारा बॉर्डर खुलने की उम्मीद भी नहीं है | जाहिर है कि इससे भारत का एक्सपोर्ट प्रभावित होगा |

और क्या-क्या? (Bangladesh Political Crisis)

2016 के बाद से भारत ने बांग्लादेश को इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप (India-Bangladesh trade relations) करने के लिए काफी मदद की है | भारत ने बांग्लादेश को 8 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन दी है | इसकी मदद से वहां रेल, सड़क और बंदरगाह बन रहे हैं | पिछले साल नवंबर में दो प्रोजेक्ट- अखौरा-अगरतला सीमा पार रेल लिंक और खुलना-मोंगला पोर्ट रेल लाइन का उद्घाटन किया गया था |

Bangladesh Political Crisis

अखौरा-अगरतला लिंक दोनों देशों के बीच छठी क्रॉस बॉर्डर रेल लाइन थी | इस रेल लाइन से टूरिज्म और कारोबार बढ़ने की उम्मीद (India Bangladesh railway project) थी | इतना ही नहीं, भारत ने बांग्लादेश में 12 करोड़ डॉलर से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट भी कर रखा है | 

इसके अलावा, राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता का असर वहां काम कर रहीं भारतीय कंपनियों पर भी पड़ने की संभावना है | जब तक हालात पहले की तरह सामान्य नहीं होते, तब तक इन कंपनियों की कमाई पर असर पड़ सकता है |

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