मुख्तार अंसारी पर अफसरों की मिलीभगत से जेल में मौज काटने के आरोप…

मोहाली के सेक्टर 70 में एक बिल्डर से 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगने के आरोप में मुख्तार अंसारी के खिलाफ पंजाब पुलिस न एफआईआर दर्ज की थी और इस सिलसिले में पूछताछ का हवाला देकर उसे यूपी की जेल से ट्रांजिट रिमांड पर मोहाली लेकर आई थी ।

News Jungal Desk : पंजाब पुलिस की जांच में पता चला है कि माफिया मुख्तार अंसारी को कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान रोपड़ जेल में जनवरी 2019 से अप्रैल 2021 के बीच 2 साल 3 महीने की कैद के दौरान वीआईपी ट्रीटमेंट मिली थी । और एडीजीपी आरएन ढोके द्वारा की जांच रिपोर्ट में सुविधाओं के बदले मुख्तार अंसारी से कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में जेल के कुछ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कार्रवाई की सिफारिश करी गई है । हालांकि, इस रिपोर्ट में इस संबंध में किसी कांग्रेस नेता पर आरोप नहीं लगाया गया है ।

दि ट्रिब्यून की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि जांच रिपोर्ट में यह आरोप स्थापित नहीं हुआ है कि मुख्तार अंसारी की पत्नी या उनके परिवार का कोई अन्य सदस्य उनके साथ जेल में रहे थे । और पहले यह आरोप लगाया गया था कि अंसारी के पंजाब और कांग्रेस के कुछ राष्ट्रीय नेताओं से संबंध थे । वह उत्तर प्रदेश की एक जेल में सलाखों के पीछे था और उसे पुलिस या प्रतिद्वंद्वी गैंगस्टरों के हाथों खत्म होने का डर था । मोहाली के सेक्टर 70 में एक बिल्डर से 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगने के आरोप में मुख्तार अंसारी के खिलाफ पंजाब पुलिस न एफआईआर दर्ज करी थी और इस सिलसिले में पूछताछ का हवाला देकर उसे यूपी की जेल से ट्रांजिट रिमांड पर मोहाली लेकर आई थी ।

यूपी को सुप्रीम कोर्ट से मिली थी ख्तार अंसारी की कस्टडी
हालांकि, मोहाली पुलिस ने अदालत में चालान दायर नहीं किया और यूपी सरकार द्वारा 25 रिमाइंडर देने के बावजूद राज्य सरकार मुख्तार अंसारी को वापस भेजने से हिचकिचाती रही है । आखिर में सुप्रीम कोर्ट के जरिए यूपी सरकार को मुख्तार की कस्टडी मिली है  एडीजीपी ढोके ने पिछले माह अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी । जो मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास विचाराधीन है और यह रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में नहीं है।
जब मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल में स्थानांतरित किया गया था और तब कांग्रेस नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा पंजाब के जेल मंत्री थे. उनके उत्तराधिकारी हरजोत सिंह बैंस ने गैंगस्टर की मदद करने के लिए कांग्रेस सरकार और रंधावा के खिलाफ अभियान चलाया था. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले कैबिनेट फेरबदल में हरजोत सिंह बैंस से जेल विभाग अपने पास ले लिया था।

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