बसपा सांसद अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर अदालत में आज फैसला सुनाया गया। इस दौरान गाजीपुर कोर्ट में सुरक्षा के सख्त बंदोबस्त देखने को मिले। सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में भारी फोर्स तैनात रही।
News Jungal Desk: अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम/एमपी-एमएलए कोर्ट ने सांसद अफजाल अंसारी व मुख्तार अंसारी पर चल रहे 15 साल पुराने गैंगस्टर के मुकदमे में फैसला सुना दिया है। इस केस में मुख्तार अंसारी को दस वर्षों की कैद और पांच लाख का जुर्माना लगाया गया है। अफजाल पर फैसला थोड़ी देर में फैसला आएगा।
गैंगस्टर के मामले में पुलिस ने वर्ष 29 नवंबर 2005 में तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय, उनके गनर सहित 7 लोगों की बसनिया गांव के सामने गोलियों से भूनकर हत्या करने के मामले को आधार बनाया था। इसके अलावा कोयला व्यवसायी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण कांड को भी इसमें शामिल किया था।हालांकि इन दोनों मामले में अंसारी बंधु कोर्ट से बरी हो चुके है। सांसद के मुकदमे में कोर्ट के फैसले को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता देखने को मिली है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड में रहा है। एसपी आफिस के पास बैरिकेड़िंग की गई है। नगर के लंका स्टैंड, सिंचाई विभाग चौराहा, शास्त्रीनगर, नगरपालिका चौराहा समेत अन्य स्थानों पर भारी पुलिस फोर्स लगा हुआ है।
22 नवंबर 2007 को मुहम्मदाबाद पुलिस ने भांवरकोल और वाराणसी के मामले को गैंग चार्ट में शामिल करते हुए सांसद अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी के खिलाफ गिरोह बंद अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें सांसद अफजाल अंसारी जमानत पर चल रहे हैं। 23 सितंबर 2022 को सांसद अफजाल अंसारी एवं मुख्तार अंसारी के विरुद्ध न्यायालय में प्रथम दृष्टया ही आरोप तय हो चुका है।
अभियोजन की तरफ से गवाही पूरी होने के बाद बहस पूरी हो चुकी है। फैसले के लिए कोर्ट ने 15 अप्रैल की तिथि तय की थी, लेकिन पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर चले जाने के कारण फैसला नहीं आ सका था। शनिवार को यानी आज फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की गई थी।
इन मुकदमों को बनाया था आधार
पुलिस ने अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर में निरुद्ध करने में मुहम्मदाबाद से अफजाल को हराकर भाजपा से विधायक बने कृष्णानंद राय की हत्या और कोयला व्यवसायी रुंगटा कांड को आधार बनाया था। हालांकि दोनों मामले में अफजाल बरी हो चुके हैं। इसी को आधार बनाकर अफजाल ने गैंगस्टर के खिलाफ हाइकोर्ट गए थे। तर्क दिया था कि जब मेन केस में बड़ी हो गए तो इसको आधार बनाकर की गई गैंगस्टर की कार्रवाई निरस्त होनी चाहिए। हालांकि राहत नहीं मिली थी।
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