News jungal desk : सांप्रदायिक सौहार्द और देवी मां की भक्ति से जुड़ा हुआ यह इकलौता मंदिर है, जिसकी देखरेख का पूरा जिम्मा पिछले 600 सालों से जमालुद्दीन खां और उनका परिवार उठा रहा है। जमालुद्दीन मंदिर के पुजारी होने के साथ साथ देवी मां के बहुत बड़े भक्त भी हैं। इसके अलावा एक अन्य खास बात यह है कि इस जमालुद्दीन का परिवार रोजा रखने के साथ साथ मां की उपासना भी करता है। लेकिन इनके परिवार का जो भी सदस्य मंदिर का पुजारी बनता है । वह नमाज नहीं पढ़ता है। लेकिन इसकी उसे इजाजत होती है कि वह नमाज और देवी मां की अराधना-पूजा एक साथ कर सकता है। गांव के लोगों का कहना है कि मंदिर के पुजारी जमालुद्दीन नवरात्र के दौरान लोगों के यहां हवन और अनुष्ठान भी करवाते हैं जबकि नवरात्र के दिनों में मंदिर में रहकर ही वे 9 दिनों तक उपवास रखते हैं और माता रानी की उपासना करते हैं। जमालुद्दीन ने बताया कि 600 साल पहले सिंध प्रांत में भारी अकाल पड़ने के बाद उनके पूर्वज यहां आकर बस गए थे। दरअसल उस समय अकाल के कारण इनके पूर्वज ऊंटों के काफिले को लेकर मालवा जा रहे थे, तभी कुछ ऊंट रास्ते में बीमार पड़ गए और उन्हें यहां रुकना पड़ा। जिसके बाद रात को देवी मां ने इनके पूर्वज को सपने में आकर दर्शन दिए और कहा कि नजदीक के बावड़ी में रखी मूर्ति से भभूत निकालकर ऊंट को लगा दो तो वो ठीक हो जाएंगे। फिर जमालुदीन खां के पूर्वजों ने भी ऐसा ही किया और ऊंट ठीक हो गए। तभी से माता के आदेशानुसार जमालुद्दीन् के पूर्वज यहीं बस गए और देवी मां की पूजा-अराधना करने लगे, जिसके बाद से इनके परिवार में यह परंपरा चल पड़ी और आज तक यह परंपरा कायम है। Read also : Atiq Ahmed News: नैनी जेल के बाहर अतीक अहमद को देखने के लिए जुटी भीड़
2023-03-28