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Mysterious Temples: भारत के रहस्यमयी मंदिर, जहां पर घटती हैं अविश्वसनीय घटनाएं, जानकर हो जायेंगे हैरान …

Mysterious Temples: भारत एक ऐसा देश है जो अपनी आस्था और संस्कृति के लिए जाना जाता है , भारत में कई ऐसे मंदिर है जिनके रहस्य की कहानी सुन के लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते है , तो चलिए आज के इस खबर में हम आपको 5 ऐसे ही रहस्यमयी मंदिरों के बारे में बताते है जिनका रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए है….

कामाख्या देवी मंदिर

असम में स्थित कामाख्या देवी मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी और शक्तिशाली मंदिरों में से एक माना जाता है। असम के गुवाहाटी शहर में स्थित इस मंदिर में माँ कामाख्या की पूजा की जाती है । यहाँ माँ कामाख्या को उनके मासिक धर्म के दौरान पूजा जाता है जो कि भारतीय संस्कृति में एक चौका देने वाली बात है। मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य है कि यहाँ हर साल माँ की प्रतिमा से 3 दिन तक खून बहता है और इसे अम्बुवाची मेला कहा जाता है। आपको बता दें की अभी तक वैज्ञानिक भी इस घटना का कोई स्पष्ट कारण नहीं बता पाए हैं। यहाँ कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक योनी के आकार की चट्टान है जिसे देवी का प्रतीक माना जाता है। जब ये चट्टान लाल हो जाती है तब भक्त मानते है की माँ कामाख्या का मासिक धर्म चल रहा है। मान्यता है कि जब भगवान शिव देवी सती का जला हुआ शरीर लेकर तांडव कर रहे थे तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, जहां जहाँ सती के अंग गिरे वहाँ वहाँ शक्तिपीठ बने हुए है ऐसा माना जाता है की यहाँ पर देवी की योनी गिरी थी और इसलिए इसे भी शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है

    कुरनूल का यादंती मंदिर


    आंध्र प्रदेश कुरनूल जिले में स्थित इस मंदिर को भक्तों द्वारा बेहद श्रद्धा से पूजा जाता है यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है इस मंदिर की खाश बात यह है की यहाँ की नंदी की मूर्ति अपने आप बढ़ती जाती है। यहाँ के नंदी की मूर्ति का आकार हर साल थोड़ा थोड़ा बढ़ता है। इसके अलावा इस मंदिर में किसी भी पक्षी को उड़ते हुए नहीं देखा जाता जो कि एक बड़ा रहस्य है।
    मंदिर की प्राचीन कथा के अनुसार ऋषि अगस्त्य ने यहाँ तपस्या की थी उन्होंने इस स्थान को इसलिए चुना क्योंकि यहाँ का वातावरण बहुत शांत और ऊर्जा से भरा हुआ है। इस मंदिर की और एक खासियत यह है कि यहाँ पर पानी का कोई स्त्रोत नहीं है, लेकिन एक पवित्र कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है।

      कांची कामाक्षी मंदिर


      तमिलनाडु में स्थित ये मंदिर देवी कामाक्षी को समर्पित है, जो माँ पार्वती का ही एक रूप मानी जाती है। ये मंदिर कांचीपुरम में स्थित है और इसे दक्षिण भारत का सबसे महत्वपूर्ण शक्तिपीठ भी माना जाता है। इस मंदिर में देवी की प्रतिमा के सामने एक श्री चक्र रखा गया है जो कि मंदिर के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। कहा जाता है कि इस श्री चक्र में इतनी शक्ति है कि अगर इसे हटा दिया जाए तो पूरी दुनिया नष्ट हो सकती है। यहाँ का गर्भगृह हमेशा बंद रहता है और कोई भी पुजारी अंदर जाकर पूजा तक नहीं कर सकता। मंदिर की कहानी के अनुसार देवी पार्वती ने यहाँ पर तपस्या की थी ताकि वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त कर सके । यहाँ माँ कामाक्षी की प्रतिमा के चारों और सोने के नाग के साथ एक खास परिधि है जिसे नाग बंधन कहा जाता है। ऐसा माना जाता है की ये नाग बंधन इतना शक्तिशाली है कि यह किसी भी बुरी शक्ति को मंदिर के अंदर आने से रोकता है।

        ज्वाला देवी मंदिर


        हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित यह मंदिर देवी ज्वाला को समर्पित है। यह मंदिर अपनी हमेशा जलती रहने वाली अनोखी ज्योति के लिए जाना जाता है, जो सदियों से बिना तेल और बाती के सदियों से जलती आ रही है। इस मंदिर में बिना किसी ईंधन के नौ स्थानों पर जोतियां जलती है। वैज्ञानिक ने भी इस रहस्य को समझने की बहुत कोशिश की, लेकिन आज तक कोई भी इसके पीछे का कारण नहीं जान पाया है। कहा जाता है कि ये जोतियां स्वयं देवी का प्रतीक है कहानी के अनुसार जब माता सती ने अपने पिता दक्ष के यज में अपने आप को भस्म कर लिया था तो उनके शरीर के अंग पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर गिरे। जहाँ जहाँ सती के अंग गिरे वहाँ वहाँ शक्तिपीठ बने। ज्वाला देवी मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहाँ सती की जीभ गिरी थी।

          काल भैरव मंदिर


          मध्यप्रदेश उज्जैन में स्थित यह मंदिर भगवान भैरव को समर्पित है, शिवजी के रुद्र अवतार माने जाते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ भगवान भैरव को शराब चढ़ाई जाती है। इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य है कि यहाँ भगवान भैरव को चढ़ाई गई शराब कुछ देर बाद गायब हो जाती है। भक्तों का मानना है कि स्वयं भगवान भैरव इस शराब को ग्रहण करते हैं। वैज्ञानिक ने कई बार इस रहस्य का पता लगाने की कोशिश की लेकिन आज तक कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिल पाया। ऐसा माना जाता है की जब ब्रह्मा जी ने शिव जी का अपमान किया तो भगवान शिव ने क्रोध में आकर भैरव का रूप धारण किया और ब्रह्मा जी के पांच सिरों में से एक को काट दिया। इस घटना के बाद भगवान भैरव का नाम कपलित पड़ गया कहा जाता है कि तभी से भगवान भैरव के लिए शराब अर्पित की जाती है ताकि उनका क्रोध शांत रहे।

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