बिहार शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच विश्वविद्यालयों पर अधिकार की लड़ाई का नेक्स्ट फेज शुरू हो गया है । और इस बार शिक्षा विभाग ने राजभवन को उसकी आर्थिक शक्तियों को लेकर कटाक्ष किया है । और वहीं, दूसरी ओर यह भी पूछा है कि कुलाधिपति (राज्यपाल) के अधिकार की सीमा को स्पष्ट किया जाए । और जाहिर है शिक्षा विभाग के इस तेवर के कारण एक बार फिर राजभवन और बिहार सरकार में तकरार बढ़ सकती है ।
News jungal desk : शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच लेटर वॉर लगातार जारी है । और अब शिक्षा विभाग ने राजभवन को कड़ाई से पत्र लिखकर कुलाधिपति (राज्यपाल) की स्पष्ट शक्तियों के बारे में जानना चाहा है । और इतना ही नहीं शिक्षा विभाग ने राजभवन सचिवालय से फंड और विश्वविद्यालयों में चल रहे मुकदमों को लेकर स्थिति भी जानना चाहा है । और शिक्षा विभाग के इस पत्र के बाद राजभवन और बिहार सरकार के बीच तनातनी और बढ़ने की संभावना बढ़ गई है ।
शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने पत्र लिखकर राजभवन से सीधा सवाल पूछते हुए कहा है कि शिक्षा विभाग अब कुलाधिपति की स्पष्ट शक्तियों और अधिकारों के बारे में जानना चाहता है । और विभाग विश्वविद्यालय मामले में यह भी जानना चाहता है कि किस एक्ट में कुलाधिपति की स्पष्ट शक्तियां प्रदान करी गईं हैं । राजभवन शिक्षा विभाग को स्पष्ट प्रावधान उपलब्ध करवाए ।
शिक्षा विभाग के सचिव के पत्र में आगे लिखा गया है कि-आपने विश्विद्यालय की स्वायत्तता को प्रभावित करने वाले व्यक्तिगत अधिकारियों का उल्लेख किया है । और शिक्षा विभाग जानना चाहता है कि किन अधिकारियों ने स्वायत्तता प्रभावित किया और कैसे किया है ? राजभवन को बताना चाहता हूं कि शिक्षा विभाग सालाना 4000 करोड़ रुपए विश्वविद्यालयों पर खर्च करता है ।
शिक्षा विभाग ने आगे लिखा, शिक्षा विभाग हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में 3000 से अधिक मामलों का सामना कर रहा है । और अगर राजभवन इतना ही उत्सुक है तो यह काम भी राजभवन करे । राजभवन सचिवालय को शिक्षा विभाग सलाह देता है कि अब सभी अदालती मामलों को राजभवन सीधे लड़े और खुद प्रत्येक केस में हस्तक्षेप याचिका खुद दायर करे ।
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