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सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीसीआर को झटका देते हुए मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में भेजने के निर्देश पर लगा दी रोक…

सार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने और मदरसों से गैर-मुस्लिम छात्रों को हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के उस फैसले के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका पर आधारित है।

विस्तार

उत्तर प्रदेश सरकार का यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की रिपोर्ट पर आधारित था, जिसमें राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 का पालन न करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की गई थी। आयोग ने सभी मदरसों की जांच करने की बात भी कही थी।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के इस कथन का संज्ञान लिया कि एनसीपीसीआर के संचार और कुछ राज्यों की कार्रवाइयों पर रोक लगाना आवश्यक है।

यूपी सरकार का आदेश

अदालत ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त और सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। एनसीपीसीआर की सिफारिश के आधार पर, सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।

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शीर्ष अदालत ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि एनसीपीसीआर द्वारा 7 जून और 25 जून को जारी किए गए संचार पर रोक लगाई जाती है और इसके बाद उठाए गए सभी कदमों पर रोक रहेगी। पीठ ने यह भी कहा कि राज्यों के परिणामी आदेशों पर भी रोक लागू रहेगी। न्यायालय ने मुस्लिम संगठन को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को अपनी याचिका में पक्षकार बनाने की अनुमति दी है।

एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में क्या था?

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जब तक मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करते, तब तक उन्हें दी जाने वाली फंडिंग बंद कर दी जानी चाहिए।

विपक्ष का विरोध

इस रिपोर्ट पर विपक्ष ने बीजेपी सरकार पर कड़ा हमला किया था। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को लक्षित तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया। इसके बाद एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मदरसों को बंद करने की मांग नहीं की, बल्कि सरकारी फंडिंग रोकने की सिफारिश की थी, क्योंकि ये संस्थान गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।

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