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Noida news: नाइजीरियन गैंग ने नाबालिगों के Bank खातों में 100 करोड़ से ज्यादा किया ट्रांसफर, जानें क्या है पूरा मामला…

नोएडा में एक नाइजीरियन गैंग पकड़ा गया है। नोएडा क्राइम थाना पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार करके बड़े खुलासे किए हैं। नाइजीरियन गैंग से जुड़े ये लोग गांव देहात के लोगों के जरिए ठगी को अंजाम दे रहे थे।

News Jungal National desk: बड़ी जांच एजेंसियों से बचने के लिए नाइजीरियन गिरोह के जालसाज अब गांवों-देहात तक पहुंच बनाकर स्कूल-कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स को अपना मोहरा बना रहे हैं। पुलिस जांच में सामने आया कि जालसाज कुछ कमीशन या रुपये का लालच देकर नाबालिगों को ठगी के धंधे में शामिल कर रहे हैं। इसके बाद इनके फर्जी केवाईसी के सहारे बैंक खाते और ई वॉलेट खुलवाकर ठगी की रकम को इधर से उधर कर रहे हैं। ऐसे में नाबालिग भी अनजाने में साइबर अपराध की दुनिया में कदम रख रहे हैं।

गौरतलब है कि सेक्टर 36 साइबर क्राइम थाना पुलिस ने शनिवार को सात युवकों को गिरफ्तार किया था और उनसे पूछताछ के बाद पुलिस को साइबर क्राइम में इस्तेमाल होने वाले खाते और डिजिटल वॉलेट के बारे में कई अहम जानकारियां मिलीं। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने इस प्रकार से सैकड़ों खाते नाइजीरियन गिरोह के जालसाजों ने दे रखे हैं, जिसमें अनुमान लगाया जा रहा है कि ठगी के 100 करोड़ रुपये से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं। सेक्टर 36 साइबर क्राइम थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया कि ठगों ने रिटायर्ड आईपीएस राम प्रताप सिंह से मैट्रिमोनियल साइट पर जैनथ नाम की ब्रिटिश महिला बन कर दोस्ती की। इसके बाद उनसे कस्टम और जीएसटी के नाम पर 8.17 लाख रुपये की ठगी कर ली।

मामले में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद जब जांच शुरू की तो इस पूरे मॉड्यूल के बारे में जानकारी मिली। पुलिस टीम बदायूं के एक गांव निवासी आरोपी जाबिर खान, राजू सिंह और प्रशांत सिंह के गांव पहुंची तो पता चला कि गांव के करीब 150 युवकों के नाइजीरिया से जुड़े हुए डिजिटल वॉलेट और अकाउंट मिले। इसके साथ ही 50 युवक सीधे नाइजीरियन ठगी गिरोह के संपर्क में हैं। इनमें से ज्यादातर लड़के 18 साल से कम उम्र के हैं। इनके डिजिटल अकाउंट अलग-अलग गेटवे पर फर्जी केवाईसी द्वारा तैयार किए गए हैं। ये बच्चे रुपये निकालकर 8 से 10 फीसदी कमिशन पर जोड़ने वाले एजेंटों के जरिए नाइजीरियन गिरोह को वापस भेज देते हैं।

बदायूं के चार गांवों में मिले कई फर्जी बैंक खाते

साइबर क्राइम थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया पुलिस को बदायूं जिले के चार गांवों में करीब 150 लोगों के पास फर्जी बैंक खाते और अलग-अलग प्लेटफार्म पर बने डिजिटल वॉलेट मिल चुके हैं। इसके साथ ही पुलिस को नोएडा के शाहबेरी गांव, ओडिशा के परीपाड़ा गांव और हरियाणा व राजस्थान के कुछ गांवों के बारे में भी पता चला है, जिनमें नाइजीरियन गिरोह के ठगी के रुपये ट्रांसफर किए जा रहे थे। पुलिस ने ओडिशा के परीपाड़ा और बदायूं से कुछ युवकों गिरफ्तार भी किया है।

नाइजीरियन गिरोह क्यों कर रहे हैं गांवों का रुख

साइबर क्राइम थाना प्रभारी रीता यादव बताती हैं कि पुलिस और जांच एजेसियों से बचने के लिए नाइजीरियन गांव व कस्बों के नाबालिगों को अब ठगी में शामिल कर रहे हैं। साथ ही इन्हें ढाल की तरह इस्तेमाल भी किया जाता है। जब भी बड़े स्तर पर ठगी करते हैं तो उस रकम को पूरे एक जाल के जरिए घुमा देते हैं। जब पुलिस जांच करती है तब पहले ये बच्चे ही पकड़ में आ पाते हैं।

फर्जी बैंक खातों से निपटने की हो रही है तैयारी

पुलिस के एक सीनियर अधिकारी ने बताया साइबर ठगी में इस्तेमाल होने वाले फर्जी बैंक खाते और डिजिटल वॉलेट की समस्या से निपटने के लिए प्रदेश स्तर पर तैयारी हो रही है। पुलिस की टीम बैंक और डिजिटल वॉलेट की सुविधा देने वाली बड़ी कंपनियों के साथ एक मीटिंग करेंगी। इसमें केवाईसी के नियमों और डॉक्यूमेंट की जांच प्रक्रिया को सख्त बनाने को लेकर चर्चा की जाएगी। इसके साथ मामले की जांच में सहयोग करने को लेकर भी मीटिंग में बात की जाएगी। इसके साथ ही स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों पर स्टूडेंट्स और लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है।

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