मोबाइल की दुनिया का बादशाह
नोकिया, 1980 और 90 के दशक में, मोबाइल फोन का पर्याय बन चुका था। अपनी मजबूत बैटरी, टिकाऊ फोन और भरोसेमंद तकनीक के दम पर नोकिया ने टेलीकॉम इंडस्ट्री में एक अनोखा मुकाम हासिल किया। (नोकिया का पतन और वापसी) 2000 के शुरुआती दशक तक, यह कंपनी दुनिया के आधे से ज्यादा मोबाइल फोन मार्केट पर राज कर रही थी। लेकिन, कुछ ऐसा हुआ जिसने इस ब्रांड को इतिहास की “सफलता से असफलता” की एक क्लासिक कहानी में बदल दिया।
iPhone की एंट्री और नोकिया की प्रतिक्रिया
2007 में जब स्टीव जॉब्स ने पहला iPhone लॉन्च किया, तो पूरी दुनिया में स्मार्टफोन की लहर दौड़ गई। लेकिन नोकिया ने इसे केवल “एक ट्रेंड” कहकर नज़रअंदाज़ कर दिया। यह निर्णय कंपनी के पतन की शुरुआत साबित हुआ। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी कंपनी ने इतनी बड़ी चूक कैसे कर दी?
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साजिश या रणनीति?
कुछ अंदरूनी रिपोर्ट्स के अनुसार, नोकिया का पतन केवल गलत निर्णयों का नतीजा नहीं था। ऐसा माना जाता है कि नोकिया ने स्मार्टफोन की दौड़ में जानबूझकर धीमी रफ्तार अपनाई। कंपनी का फोकस सस्ते स्मार्टफोन्स से हटाकर प्रीमियम ब्रांडिंग पर था। लेकिन, असली खेल 2011 में तब शुरू हुआ, जब स्टीफन एलोप को नोकिया का CEO बनाया गया।
स्टीफन एलोप और माइक्रोसॉफ्ट का कनेक्शन
स्टीफन एलोप, जो माइक्रोसॉफ्ट के पूर्व कर्मचारी थे, ने नोकिया को अपने सिम्बियन ऑपरेटिंग सिस्टम से हटाकर विंडोज फोन पर शिफ्ट कर दिया। यह फैसला, जो नोकिया के लिए विनाशकारी साबित हुआ, ने सवाल उठाए कि क्या एलोप एक “गुप्त एजेंट” के तौर पर भेजे गए थे?
2014 तक, नोकिया ने अपने मोबाइल डिवीजन को माइक्रोसॉफ्ट को बेच दिया। हालांकि, यह सौदा केवल फोन बनाने तक सीमित नहीं था; इसमें पेटेंट्स और भविष्य की तकनीकी योजनाओं का भी बड़ा योगदान था।
नोकिया की असली रणनीति: नेटवर्किंग पर फोकस
जब पूरी दुनिया नोकिया के पतन की कहानी लिख रही थी, उस समय नोकिया चुपचाप अपने असली बिजनेस – टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर – पर काम कर रहा था। (नोकिया का पतन और वापसी) 2014 में राजीव सूरी के नेतृत्व में नोकिया ने नेटवर्किंग इंडस्ट्री में अपनी पहचान मजबूत की।
आज नोकिया 5G टेक्नोलॉजी में एक बड़ा नाम है। इसके पास ऐसे हजारों पेटेंट हैं जो टेलीकॉम सेक्टर की रीढ़ माने जाते हैं।
क्या नोकिया कभी हारा ही नहीं?
अगर गहराई से देखा जाए, तो नोकिया ने कभी हार नहीं मानी। उसने स्मार्टफोन मार्केट को छोड़कर, नेटवर्किंग में एक नया साम्राज्य खड़ा किया। आज, भले ही iPhone और Samsung जैसे ब्रांड्स स्मार्टफोन मार्केट पर राज कर रहे हों, लेकिन 5G नेटवर्क की रीढ़ नोकिया की तकनीक है।
निष्कर्ष
नोकिया का पतन केवल एक कंपनी की हार की कहानी नहीं है। यह एक रणनीतिक बदलाव की गवाही है। जो कभी मोबाइल की दुनिया का बादशाह था, उसने आज नेटवर्किंग इंडस्ट्री में अपना झंडा गाड़ दिया है।
तो अगली बार जब आप 5G नेटवर्क पर कॉल करें, यह याद रखें कि नोकिया आज भी दुनिया को कनेक्ट करने में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है।
क्योंकि नोकिया कभी हारा ही नहीं था।