भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा कि लैंडर माड्यूल सॉफ्ट लैंडिंग से पहले अंदरूनी जांच की प्रक्रिया से गुजरेगा. इसके बाद यह लैंडिंग साइट पर सूरज के निकलने का इंतजार करेगा ।
News Jungal Desk : चांद पर पहुंचने की रेस में भारत ने रूस को पीछे छोड़ दिया है । और रूस का लूना-25 (Luna-25) चंद्रमा पर क्रैश कर चुका है । और बता दें कि लूना-25 भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Latest) की लैंडिंग से दो दिन पहले चांद की सतह पर उतरने वाला था । हालांकि रविवार को यह चांद से टकराकर क्रैश हो गया है । अब पूरी दुनिया की नजर चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर टिकी हुई है । इस खबर में हम आपको इसके लैंडिंग का पूरा प्रोसेस बताने जा रहे हैं ।
मालूम हो कि लैंडर मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान हैं । रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम की गोद में बैठकर चांद की करीबी कक्षा में चक्कर लगा रहा है । और 17 अगस्त को चंद्रयान के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर मॉड्यूल विक्रम खुद ही आगे बढ़ रहा है. अब चांद से इसकी दूरी महज 25 किमी रह गई है । और बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर को चांद की सतह पर पहले 23 अगस्त को 5 बजकर 47 मिनट पर उतरने की उम्मीद थी लेकिन अब ISRO ने समय में बदलाव करा गया है ।
क्यों सूर्योदय का इंतजार
ISRO के अनुसार लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से युक्त लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर लैंड करने की उम्मीद की जा रही है । 23 अगस्त से मून पर लूनर डे की शुरुआत होगी. चांद पर एक लूनर दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है । इन 14 दिनों तक चांद पर लगातार सूरज की रोशनी रहती है । चंद्रयान-3 में जो उपकरण लगे हैं उनकी लाइफ एक लूनर दिन की है । क्योंकि ये सौर्य उर्जा से संचालित होते हैं । इसलिए इन्हें संचालित करने में सूरज की रोशनी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है ।
23 अगस्त को लैंडिंग नहीं हुई तो…
किसी कारण वे इस दिन लैंडिंग में सफलता हासिल नहीं हो पाती है तो फिर इसे लैंड करने के लिए अगले दिन का इंतजार करना पड़ेगा । या इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पूरे महीने का इंतजार करना होगा । जोकि एक लूनर डे और एक लूनर नाइट के बराबर है ।
Read also : नोएडा में बिजली का पोल लगाते समय करंट लगने से एक मौत, सात कामगार झुलसे