अब ज्ञानवापी पर फैसला 14 अप्रैल को आएगा,जानिए मंदिर पक्ष में इस फैसले को लेकर दो फाड़ क्यों?

 यूं तो ज्ञानवापी मुकदमा लंबे वक्त से जिला अदालत के साथ हाईकोर्ट में विचाराधीन है. लेकिन हाल फिलहाल मामला सुर्खियों में तब आया जब पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी स्थित श्रंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन की मांग को लेकर जिला अदालत का दरवाजा खटखटाया. इसमे चार महिलाएं सीता साहू, लक्ष्मीदेवी, रेखा पाठक, मंजू व्यास वाराणसी से थीं ।

News Jungal Desk : ज्ञानवापी से जुड़े बहोत मुकदमे वाराणसी की अलग-अलग अदालतों में सुनवाई पर चल रहे हैं । और सभी मुकदमों में अलग-अलग वादी और वाद हैं । लेकिन इस बीच कई तारीखों से जिस मुकदमे का फैसला तारीख दर तारीख आगे ब़ढा है । वो ज्ञानवापी के जुड़े मुकदमों के समेकित होने का है । और आसान तरीके से समझे, तो अलग-अलग अदालतों में चल रहे मुकदमों को एक साथ एक ही अदालत में सुनने की मांग पर अदालत को फैसला देना है । और बता दें कि इस पर बहस पूरी हो गई है और जिला जज की अदालत से ये फैसला आना है । इन मुकदमों को भी एक साथ जिला जज की अदालत में सुनने की प्रार्थना करी गई है ।

बीती तारीख में जिला जज डा अजय कृष्ण विश्वेश के अवकाश में होने के कारण इस पर फैसला नहीं आ पाया है और अब 14 अप्रैल को फैसले की तारीख सुनाई गई है । आमतौर पर ज्ञानवापी से जुड़ा कोई भी मुकदमा जब चर्चा में आता है । तो आपके जेहन में मंदिर बनाम मस्जिद के वकीलों और वादियों के बीच कानूनी बहस की तस्वीर उभरती होगी । और लगभग ऐसा है भी; लेकिन इस मुकदमे में सुनवाई और बहस के दौरान मंदिर पक्ष में ही उलझन और वैचारिक मतभेद दिखाई दिया था। इसे समझने के लिए थोड़ा पहले से आपको समझना पड़गा

दरअसल, यूं तो ज्ञानवापी मुकदमा लंबे वक्त से जिला अदालत के साथ हाईकोर्ट में विचाराधीन है । लेकिन हाल फिलहाल मामला सुर्खियों में तब आया जब पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी स्थित श्रंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन की मांग को लेकर जिला अदालत का दरवाजा खटखटाया था । इसमे चार महिलाएं सीता साहू, लक्ष्मीदेवी, रेखा पाठक, मंजू व्यास वाराणसी से थीं । जबकि मुख्य वादिनी राखी सिंह दिल्ली से है । सभी की मांग पर ज्ञानवापी का सर्वे हुआ है । जिसमे मस्जिद की दीवारों में हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक चिन्ह आदि मिलने के साथ वजूखाने में कथित शिवलिंग नुमा आकृति भी मिली है । बस मंदिर पक्ष में यही से वैचारिक मतभेद का जन्म हुआ था ।

कॉर्बन डेटिंग मांग को क्यों गलत ठहराया गया
वाराणसी की 4 वादिनी महिलाओं, उनके सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णुशंकर जैन, सुभाष चतुर्वेदी आदि ने कार्बन डेटिंग समेत अन्य वैज्ञानिक परीक्षण की मांग करी दूसरी ओर राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह विशेन और उनके वकीलों ने ये कहते हुए कार्बन डेटिंग की मांग को गलत ठहराया कि इससे कथित शिवलिंग खंडित होने का डर है । हालांकि बाद में वकील विष्णुशंकर जैन, सुभाषनंदन चतुर्वेदी ने अपनी सफाई में कहा कि भ्रम पैदा हो गया है । हमने अदालत से सिर्फ ये मांग उठाई है कि कार्बन डेटिंग या अन्य किसी वैज्ञानिक परीक्षण के जरिए, बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए इसकी जांच की जानी चाहिए ।

ज्ञानवापी के मुकदमे, वाराणसी के कई अलग-अलग कोर्ट में दाखिल
ये मामला बाद में हाई कोर्ट चला गया और इधर जितेंद्र सिंह विशेन ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में एक और वाद दाखिल किया है । जिसे अदालत ने सुनवाई योग्य मानकर इसकी सुनवाई शुरू कर दिया इसके बाद तो ज्ञानवापी से जुड़े कई मुकदमे अलग-अलग अदालतों में दाखिल हो गए है । जिस पर वाराणसी निवासी चारों वादिनी महिलाओं और उनके वकीलों ने इन्हें एक साथ जिला जज की अदालत में सुनने की प्रार्थना करी है । जिसका राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह विशेन और उनके वकील शिवम गौड़, अनुपम दिवेदी आदि ने विरोध किया है । बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है । और जिसके बाद छह तारीखों से ये फैसला किसी न किसी कारण से आगे टल रहा है । और 11 अप्रैल की तारीख में जिला जज के अवकाश में होने के कारण अब 14 अप्रैल की तारीख तय करी गई है ।

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