पुंछ के सेना के जवान अब्दुल मजीद राजोरी मुठभेड़ में बलिदान हो गए। सुबह जब परिजनों को इस बात की खबर मिली तो बलिदानी के घर में चीख-पुकार मच गई।

News jungal desk: राजोरी के कालाकोट के बाजीमाल में बुधवार को हुई मुठभेड़ में आतंकियों से लोहा लेते हुए सेना की 9 पैरा कमांडो रेजिमेंट के 2 अधिकारियों के साथ साथ चार जवान शहीद हो गए। इनमें से पुंछ के भी एक लाल ने बलिदान दिया। लेकिन, देर रात तक इस बलिदानी के परिजनों को इस अनहोनी की जानकारी नहीं मिल सकी। सुबह जब परिजनों को इस बात की खबर मिली तो उसके घर में चीख-पुकार मच गई।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबीक, कालाकोट मुठभेड़ में नियंत्रण रेखा से सटे गांव अजोट निवासी मोहम्मद रशीद का पुत्र अब्दुल मजीद ने बलिदान दिया है। वह सेना की 9 पैरा में हवलदार के रउप में तैनात थे। देर शाम को अंधेरा होने तक बलिदानी का शव मुठभेड़ स्थल से उठाया नहीं जा सका था। एक तरफ जहां पुंछ के इस लाल के शहीद होने की सूचना पुंछ में हर खुफिया एजेंसी और क्षेत्र में तैनात सेना के अधिकारियों तक पहुंची, लेकिन शहीद के परिवार तक यह सूचना नहीं पहुंच पाई। न ही किसी ने इस बुरी खबर को परिवार तक पहुंचाने की हिम्मत की। सुबह जब अपनों को इस बात की खबर हुई। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। जिसके बाद से वे रोते-बिलखते बलिदानी के पार्थिव शरीर के घर पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं।
Read also: राजौरी में आतंकियों से फिर मुठभेड़ शुरू, शहादत का बदला लेने उतरी सेना