केंद्र सरकार मरीजों के निजी डाटा की सुरक्षा और दवाओं के अनर्गल इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर ऑनलाइन दवा दुकानों पर शिकंजा कस सकती है. इसके लिए संबंधित कानून में जरूरी संशोधनों के लिए परामर्श किया जा रहा है.
News jungal desk : केंद्र सरकार ऑनलाइन दवा की दुकानों या ई-फार्मेसी (E-Pharmacy) को विनियमित करने की योजना बना रही है । और संभव है कि इन पर प्रतिबंध भी लगा दिया जाए । और हालांकि, इस पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है । इस संबंध में पेश किया गए है । औषधि, चिकित्सा उपकरण और प्रसाधन सामग्री विधेयक 2023 को अभी विभिन्न मंत्रालयों के पास मंथन के लिए भेजा गया है । और ये कवायद ऐसे समय में शुरू की गई है और जब पिछले ही महीने नियमों के उल्लंघन को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने 20 ऑनलाइन दवा बिक्री कंपनियों को नोटिस भेजा था ।
खबरों के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बोला है कि ई-फार्मेसी को नियंत्रण में लाने के लिए नए विधेयक पर चर्चा करी जा रही है । और साथ ही मंत्री समूह ने इन पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में अपना मत रखा है । उनका मानना है कि इससे ग्राहक के निजी डाटा की गोपनीयता को खतरा है । और इसके अलावा डॉक्टर की पर्ची के बिना दवाएं देने और मनमानी कीमतें वसूले जाने के प्रचलन को बढ़ावा मिल रहा है । और उनका मानना है कि यह काफी खतरनाक है और इससे दवाओं के खुदरा बाजार को काफी नुकसान हो सकता है ।
सरकार कर चुकी है विनियमन की बात
केंद्र सरकार ने पिछले महीने बजट सत्र के दौरान बोला था कि वह दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को बड़े स्तर पर विनियमित करने के लिए कानून में जरूरी संशोधन की तैयारी कर रही है । और पिछले ही महीने नियमों के उल्लंघन को लेकर औषधि नियंत्रक DCGI ने टाटा 1 एमजी, अमेजन और फ्लिपकार्ट समेत 20 कंपनियों को नोटिस भेजा था । और नोटिस में कहा गया था कि ये कंपनियां शेड्यूल एच, एच 1 और एक्स श्रेणी में सूचीबद्ध दवाओं को बगैर किसी अनुमति के अवैध तरीके से बेच रही हैं ।
रोगियों के डाटा को खतरा
ये कंपनियां रोगियों के डाटा को एकत्रित करती हैं । इससे रोगियों की सुरक्षा से जुड़े जोखिमों में बढ़ोतरी होती है । और इसके अलावा इन वेबसाइट के जरिए दवाओं को अनर्गल इस्तेमाल किया जा रहा है । और सरकार द न्यू ड्रग्स मेडिकल डिवाइसेज एंड कॉस्मेटिक्स बिल 2023 और मौजूदा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 को बदलने की तैयारी में है ।
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