
-अहम फैसलों का दिन होगा गुरुवार, सर्वदलीय बैठक होगी -सिंधु जल समझौता रोका, पानी को तरसेगा पाक -48 घण्टे के भीतर पाकिस्तानी भारत छोड़ो -अटारी-बाघा बॉर्डर बन्द, देश अलर्ट मोड पर -कहने भर को रह जायेगा दूतावास

महेश शर्मा(वरिष्ठ पत्रकार)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उनके आवास पर हुई सीसीएस की बैठक में लिए गए फैसलों से पाकिस्तान के खिलाफ किसी बड़ी कार्रवाई के संकेत मिलते हैं। इसे कूटनीतिक वार की शुरुआत कहा जा रहा है। इससे भी बड़ा कुछ हो जाय तो चौकाने वाली बात न होगी। बुधवार को लिए गए फैसलों को पाकिस्तान के मुह पर करारा तमाचा कहा जा रहा है। आक्रोश भरे शोक के माहौल में भारत ने फैसलों से थोड़ी राहत की सांस ली है पर पब्लिक में इसे पर्याप्त नहीं बताया जा रहा है। अब गुरुवार को सर्व दलीय बैठक होगी। सारे पाकिस्तानियों का वीजा रद्द करते हुए उन्हें 48 घण्टे के भीतर देश छोड़ने को कहा गया है। अटारी और बाघा बॉर्डर बन्द तत्काल प्रभाव से बन्द कर दिया गया है। पाकिस्तान का दूतावास का आकार नाम भर को रखा गया है। स्टाफ छंटनी को निर्देशित किया गया है। ज्यादातर राजनयिकों व स्टाफ को जल्द से जल्द देश छोड़ने का भी आदेश दिया गया है। सिंधु जल समझौता रोकना जैसे कड़े फैसले साफ संकेत देते हैं कि कुछ कड़ा कदम उठाया जा सकता है। पाकिस्तान को मिलने वाला पानी नाम मात्र का होने से उसकी कमर टूटना तय माना जा रहा है। ऐसे में बूंद-बूंद पानी को तरस जाएगा पाकिस्तान। आपको बता दें कि सिंधु जल समझौता पर 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के तहत, भारत को तीन पूर्वी नदियों – रावी, व्यास और सतलुज – का पानी मिलता है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों – चिनाब, झेलम और सिंधु का पानी मिलता है। भारत और पाकिस्तान इस पानी का इस्तेमाल हाइड्रो-पावर और सिंचाई जैसे घरेलू उद्देश्यों के लिए कर सकते हैं। समझौते के मुताबिक भारत विविध उद्देश्यों के लिए पश्चिमी नदियों पर भी 3.6 मिलियन एकड़ फुट पानी स्टोर कर सकता है।
संधि के तहत, किसी भी विवाद को पहले दोनों पक्षों द्वारा नियुक्त आयुक्तों द्वारा उठाया जा सकता है और यदि वे मतभेदों को हल करने में विफल रहते हैं, तो एक स्वतंत्र, विश्व बैंक द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ की मदद ली जा सकती है। खैर यह बाद कि बात है पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में सिंधु जल समझौता रोकना पकिस्तान के लिये प्रेशनिबक सबब बन गया है। पाकिस्तान ने मतभेदों को सुलझाने के लिए संधि में निर्धारित तंत्रों का पहले भी उल्लंघन किया है। उस पृष्ठभूमि के खिलाफ, भारत ने अब कहा है कि बढ़ती आबादी और जलवायु तनाव के मद्देनजर समझौते पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। सीसीएस में इसे रोकने के निर्णय से पाकिस्तान की परेशानी बढ़ सकती है।
दूसरी तरफ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में आयोजित अर्जन सिंह मेमोरियल लेक्चर के दौरान कहा कि भारत इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा। उन्होंने कहा, “भारत एक प्राचीन और मजबूत सभ्यता है, जिसे आतंकवाद से डराया नहीं जा सकता। जल्द ही इस हमले के जिम्मेदारों को सजा दी जाएगी और भारत हर जरूरी कदम उठाएगा।” उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति में कोई ढील नहीं दी जाएगी और पूरा देश इस कायराना हमले के खिलाफ एकजुट है।