Pakistan Crisis: चीन ने एक बार फिर से अपने दोस्त पाकिस्तान को दगा दे दिया है। भारत के राहत देने के बाद दबाव में आए चीन ने भी श्रीलंका को कर्ज में राहत दी है।
News Jungal International desk: पाकिस्तान आर्थिक बदहाली की कगार पर पहुंच चुका है और देश के डिफॉल्ट होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। पाकिस्तान को कर्ज नहीं मिल रहा है और उसे आईएमएफ के आगे 1 बिलियन डॉलर के लिए गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। पाकिस्तान को उसके आयरन ब्रदर चीन ने भी अब धोखा दे दिया है और बिना शर्त लोन देने से मना कर दिया है। चीन अब तक सीपेक के नाम पर भारी भरकम कर्ज पाकिस्तान पर लाद चुका है। इस बीच भारत के ऐक्शन में आने के बाद चीन ने भी श्रीलंका को कर्ज में राहत दे दी है। विशेषज्ञ भी चीन की पाकिस्तान के साथ इस धोखेबाजी को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
अमेरिका के विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और पाकिस्तानी मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन ने ट्वीट करके कहा, ‘चीन ने श्रीलंका को कर्ज चुकाने के लिए 2 साल की छूट दे दी है। चीन ने अभी तक पाकिस्तान को कर्ज में राहत देने का प्रस्ताव नहीं दिया है। वह भी तब जबकि पाकिस्तान चीन का करीबी सहयोगी है और खतरनाक तरीके से डिफॉल्ट होने की कगार पर है। अमेरिका ने भी पाकिस्तान से अनुरोध किया था कि वह चीन से कर्ज में थोड़ी राहत मांगे।’
पाकिस्तान के कुल कर्ज में 30 प्रतिशत हिस्सा चीन का
कुगेलमैन ने सवाल किया, ‘पाकिस्तान को कर्ज में राहत नहीं देने के चीन के फैसले की आखिर क्या वजह हो सकती है।’ उन्होंने कहा कि एक वजह यह भी हो सकती है कि श्रीलंका के कुल कर्ज का 52 प्रतिशत हिस्सा चीन का है। वहीं पाकिस्तान के कुल कर्ज का 30 फीसदी हिस्सा भी चीन ने दिया है। कुगेलमैन ने कहा कि एक वजह यह भी हो सकती है कि चीन भारत को टक्कर देना चाहता है जिसने हाल ही में श्रीलंका को कर्ज दिए जाने को लेकर आईएमएफ को वित्तीय आश्वासन दिया था। वहीं पाकिस्तान ने भी दावा किया है कि चीन पाकिस्तान को 9 अरब डॉलर का नया कर्ज देने जा रहा है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान को यह कर्ज कब तक मिलेगा।
पाकिस्तानी मामलों के विशेषज्ञ ने कहा, ‘चीन और पाकिस्तान के रिश्तों में हाल के महीनों में आया यह ठंडापन चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट में आई देरी, आतंकी हमलों का खतरा के कारण है। संभवत: यही एक फैक्टर हो सकता है।’ उन्होंने यह भी कहा कि इन सबके बाद भी चीन पाकिस्तान की आर्थिक राहत के लिए एक स्वत: संचालित स्रोत नहीं हो सकता है। वह भी तब जब रिश्ते बेहतर हों। इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान नेतृत्व से साफ कह दिया था कि कर्ज में राहत पाने के लिए वह चीन से बात करे। तब इस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया है और अब केवल कुछ दिन के आयात भर के लिए ही मुद्रा बची हुई है।
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