पैन 2.0 परियोजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी ई-गवर्नेंस पहल है, जो देश में करदाता पंजीकरण प्रणाली को आधुनिक और अधिक प्रभावी बनाने के लिए शुरू की गई है। इस परियोजना की घोषणा 25 नवंबर, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट समिति (सीसीईए) की बैठक में की गई। इसके लिए सरकार ने 1,435 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। यह परियोजना मौजूदा पैनधारकों और नए उपयोगकर्ताओं दोनों को उन्नत सेवाएं और डिजिटल सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
पैन 2.0 परियोजना का उद्देश्य
पैन 2.0 परियोजना का उद्देश्य भारत में पैन (Permanent Account Number) और टैन (Tax Deduction and Collection Account Number) प्रणाली को उन्नत और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाना है। इसके तहत, पैन को भारत सरकार की सभी डिजिटल प्रणालियों में एक सार्वभौमिक पहचानकर्ता के रूप में स्थापित करने की योजना है। इस परियोजना का मुख्य फोकस है:
डिजिटल सेवाओं को मजबूत करना: यह परियोजना पैन/टैन सेवाओं के डिजिटलीकरण और उनकी पहुंच को तेज और आसान बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
सटीक और सुरक्षित डेटा: पैन धारकों की जानकारी को बेहतर तरीके से संरक्षित और संगठित करना, जिससे डेटा की विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
शिकायत निवारण प्रणाली में सुधार: नागरिकों की समस्याओं और शिकायतों का समाधान तेज गति से और कुशलतापूर्वक किया जाएगा।
पैन 2.0 के तहत बदलाव और नई सुविधाएं
मौजूदा पैन कार्ड का उन्नयन: जिन व्यक्तियों और संस्थाओं के पास पहले से पैन कार्ड है, वे इसे अपग्रेड कर सकेंगे। हालांकि, उनके पैन नंबर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, केवल कार्ड का डिजिटलीकरण और उन्नति होगी।
निःशुल्क अपग्रेड: सरकार ने घोषणा की है कि मौजूदा पैनधारकों को यह सेवा निःशुल्क प्रदान की जाएगी।
बेहतर सत्यापन सेवाएं: पैन धारकों के डेटा का सत्यापन और प्रमाणन पहले से अधिक सरल और सटीक होगा।
वन-स्टॉप डिजिटल पहचान: यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पैन कार्ड भारत सरकार के विभिन्न विभागों की डिजिटल प्रणालियों में एकमात्र और मान्यता प्राप्त पहचान पत्र के रूप में कार्य करे।
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पैन 2.0 परियोजना के लाभ
पैन 2.0 परियोजना नागरिकों, छोटे व्यवसायों और अन्य करदाताओं के लिए कई लाभ प्रदान करती है। इनमें प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
तेज और बेहतर सेवाएं:
इस परियोजना के तहत उपयोगकर्ताओं को अधिक तेज और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
पैन के डिजिटल स्वरूप के कारण इसे कहीं भी और कभी भी एक्सेस करना आसान होगा।
विश्वसनीय और सटीक जानकारी:
सभी करदाताओं का डेटा अधिक सुरक्षित, सटीक और सुव्यवस्थित रहेगा।
इससे सरकार को भी नागरिकों के लिए सेवाएं प्रदान करने में आसानी होगी।
पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया:
डिजिटल पैन कार्ड का उपयोग कागज की बचत करेगा और प्रक्रियाओं को पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल बनाएगा।
इससे न केवल लागत कम होगी बल्कि सतत विकास के लक्ष्य को भी बढ़ावा मिलेगा।
उन्नत सुरक्षा:
पैन कार्ड और उससे संबंधित डेटा को सुरक्षित रखने के लिए एक मजबूत डिजिटल संरचना तैयार की जाएगी।
इससे डेटा की चोरी और अन्य साइबर खतरों का जोखिम कम होगा।
डिजिटल रूपांतरण:
पैन 2.0 परियोजना भारत के डिजिटल परिवर्तन के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह करदाता सेवाओं को भविष्य के लिए तैयार और अधिक सुलभ बनाएगी।
निष्कर्ष
पैन 2.0 परियोजना भारत के डिजिटल परिवर्तन और ई-गवर्नेंस के लक्ष्यों को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम है। यह करदाताओं को न केवल तेज और सटीक सेवाएं प्रदान करेगी, बल्कि डिजिटल पहचान के लिए पैन को अधिक उपयोगी और सुरक्षित बनाएगी। सरकार इस परियोजना को पारदर्शी और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसके लागू होने के बाद भारत की कर प्रणाली और भी आधुनिक और कुशल हो जाएगी।