‘Panchayat’ Season 3 review : वेब सीरीज ‘पंचायत’ (Panchayat 3) के तीसरे सीजन में आठ एपिसोड हैं। चर्चा थी कि इस बार चुनाव से पहले इस सीजन का प्रीमियर होगा । इसमें सरकारी योजनाओं को घर -घर तक पहुंचाया जाएगा । हालांकि, लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले घोड़े ‘सितारा सिंह’ वाली यह कहानी बिल्कुल उसकी चाल की तरह ही है ।
जिस घोड़े को लेकर यहां महासंग्राम होना है, उसकी सवारी आखिरकार कौन करेगा? वह खुद ‘पालकी पर सवार ‘ हैं , जैसे कोई गाना हो जिसे सुनकर दर्शक खुद से यही कहेंगे , चुपचाप गाते हुए, बिनोद को देखते हुए ! भूषण और प्रधानमंत्री के बीच तलवारें खिंचे हुए दो साल हो गए हैं । कहानी (jitendra kumar new web series) में मोहब्बत के बीज बोए जा चुके हैं। लेकिन, फूल खिले हैं गुलशन गुलशन, होना अभी बाकी है।
आईआईटी के इंजीनियरों का ‘भारत’ (Panchayat 3 review hindi) :
वायरल फीवर कंपनी या टीवीएफ, आईआईटी से निकले ऐसे जोशीले योद्धाओं का समूह है जो जनता की गाढ़ी कमाई से अर्जित करों से वित्तपोषित संगठनों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके । उनके नाटकीय संस्थान अपने – अपने संस्थानों में चमकते हैं ; यह भारत को भारत दिखाने का भारत का तीसरा प्रयास है , जिसे जितेंद्र कुमार(jitendra kumar movies) और दीपक कुमार मिश्रा ने लिखा |
इस कहानी का टेक ऑफ शानदार रहा। दूसरे सीजन में ये उड़ान खराब मौसम में उलझी और तीसरे सीजन में ही इसे वापस अपने प्रस्थान बिंदु तक लौटना पड़ रहा है। एक ग्राम पंचायत में क्या क्या होता है, उसे दिखाने की बजाय सीरीज के लेखक इस बार प्रधानमंत्री आवास योजना में लाभार्थियों के चयन की कहानी में उलझकर रह गए हैं। मामला बहुत फिल्मी (‘Panchayat 3’ reviews out) है, और कहानी बहुत कमजोर।
याद है ना ‘शोले’ का टंकी वाला सीन (Panchayat 3 review rating) :
ओटीटी की चंद बहुचर्चित सीरीज में शुमार रहा है अमेजन प्राइम (Amazon prime hindi 2024)वीडियो का शो ‘पंचायत’। हर बार इसका खूब इंतजार होता है। इस बार भी इसके आते ही पूरा सीजन एक बार में बैठकर देखे बिना मन नहीं माना। लेकिन, पूरी रात काली करने के बाद सुबह विचार ये करना पड़ा कि आखिर इस कहानी का सबब क्या है? सचिव का तबादला रुकवाने के लिए प्रहलाद का मैदान में हस्तक्षेप करना जरूरी था ।
यह भी उचित माना जा सकता है कि उनके शहीद बेटे को समर्पित पुस्तकालय पूरे सीजन में खुला ही नहीं और कौन जिंदादिली से किसी की मूर्ति सामने रखता ? टंकी पुराण भी इस बार शोले जैसा हो गया है कि ऊपर से गब्बर बनने की कोशिश कर रहे विधायक पर राइफलें (Jitendra Kumar web series)तान दी जाती हैं ।
एक बड़ा मौका चूक गई सीरीज (Panchayat Season 3 review)
‘ पंचायत’ का तीसरा सीजन अपने आप में ही उलझी हुई कहानी बन गया है । दर्शक इसकी किसी सनसनीखेज कहानी से जुड़ नहीं पाते । ‘ प्रधानजी ‘ को डीएम की डांट एक बार ही पड़ती है कि अगर मुखिया उनकी पत्नी (neena gupta)हैं तो नंबर उनका क्यों ? देशभर में महिलाओं के लिए आरक्षित ग्राम पंचायतों की मुखिया महिलाएं ही हैं , फिर भी उनके पति पंचायत के रोजमर्रा के कामों में ज्यादा दखल देते हैं , यह कहानी अब हर गांव की है ।
सचिव जी (Jitendra Kumar best web series list) और रिंकी का प्रेम भी बस कार की पिछली सीट तक ही पहुंच पाया है। सचिव जी अपना इस्तीफा हिंदी में लिखने के लिए जिस तरह से गूगल सर्च करते दिखते हैं, वह उनके किरदार को पहले एपिसोड से ही धराशायी करते चलता है और क्लाइमेक्स तक आते आते जिस तरह जीतेन्द्र को सी ग्रेड फिल्म के हीरो की तरह लाठी डंडा चलाते दिखाया जाता है, उससे इस किरदार का आभामंडल पूरा चूर चूर हो जाता है।
आसिफ खान बने सीजन 3 के हीरो (Panchayat season 3 OTT review)
इस सीजन (Panchayat S-3)में आसिफ खान को कहानी का नायक बनते देखना अच्छा लगता है । वे एक ऐसे मेहमान का किरदार निभाते हैं जो एमएलए साहब का घोड़ा फुलेरा गांव में लाता है और कहानी कहने की कला के हिसाब से वे इस कहानी के नायक हैं । उनकी पत्नी आंचल तिवारी भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने मे सफल हैं। फैसल मलिक (faisal malik age) ने बेटे के गम में डूबे पिता का किरदार शानदार तरीके से निभाया है।
इस बार यही एक ऐसा किरदार है जो दर्शकों की उम्मीदों को जिंदा रखता है । रघुवीर यादव और नीना गुप्ता ने अलग से ऐसा कुछ नहीं किया है जो दर्शकों को इस सीजन में कुछ नया दे सके। दुर्गेश कुमार पिछली बार की तरह इस बार फिर विलेन की भूमिका निभा रहे हैं । पूरे सीजन (Panchayat Season 3 News) में वे सिर्फ एक बार बिनोद को देखते हुए कहते हैं। उनके किरदार को बेहतरीन तरीके से गढ़ा गया है , लेकिन अगर यह मंत्री की भूमिका निभाने वाले पंकज झा के सामने थोड़ा और मजबूत होता तो बात कुछ और होती ।
टीवीएफ के लिए संभलने का सबक (‘Panchayat’ S3 Review) :
अभिनय के मामले में जीतेन्द्र कुमार (Panchayat 3 cast name) एक बेहतरीन अभुनेता के रूप में उभरे हैं , या तो उन्हें अपने किरदार या अपने अभिनय का ग्राफ बढ़ाना होगा , अन्यथा उनके लिए हालात मुश्किल हो सकते हैं । चंदन रॉय आशु कलाकार हैं, वह अपने मन से अभिनय में जो कुछ जोड़ते रहते हैं, वही उनके किरदार की यूएसपी है। बड़े परदे पर रिलीज हुई फिल्म ‘भैयाजी’ की तरह ही भोजपुरी अभिनेता व गायक मनोज तिवारी का एक गाना ‘पंचायत’ सीजन 3 में भी है।
अनुराग सैकिया ने इस सीरीज के पहले सीजन में अच्छा संगीत दिया था, लेकिन धीरे धीरे उनके सुर भी अपनी पकड़ खोते दिख रहे हैं। बड़ी चुनौती इस सीरीज को बनाने वाली कंपनी टीवीएफ (Tvf web series 2024) के सामने है कि क्या समीर सक्सेना के न होने के बावजूद वे इस सीरीज को बचा पाएंगे या कि अगले सीजन तक आते आते इसका आयोडीन पूरी तरह उड़ जाएगा…!
Read also : फिल्म खत्म होने के बाद 8 मिनट तक तालियां बजाते रह गए दर्शक, देश विदेश में मिला खूब सम्मान…