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माता-पिता की इन अच्छी आदतों से बच्चे बनते हैं अनुशासित, आप भी अपनाएं

अभिभावकों का व्यवहार अनुशासित, सम्मानपूर्ण और गुण सम्पन्न बच्चों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चों का अभिभावक व्यवहार की आदतों का प्रतिफल होता है। बच्चे वही व्यवहार करते हैं, जो वे अपने घर में देखते हैं। अगर माता-पिता में से कोई एक आक्रामक या गुस्सैल है, तो बच्चा भी उसी तरह का व्यवहार करने लगता है। इस तरह, बच्चों की दिनचर्या भी उनके आचरण को अपनाती है। वास्तव में, बच्चे अपने माता-पिता का आईना होते हैं।

माता-पिता के सकारात्मक रूटीन और जिम्मेदार व्यवहार

सकारात्मक रूटीन और जिम्मेदार व्यवहार के जरिए माता-पिता अपने बच्चों को अनुशासन में रहना सिखा सकते हैं। जब माता-पिता अपने कार्यों के माध्यम से अनुशासन दिखाते हैं, जैसे कि किसी कार्य को समय पर पूरा करना और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना, तो बच्चे भी इसी तरह का व्यवहार अपनाते हैं। यह उदाहरण बच्चों में आत्म अनुशासन के गुण को विकसित करता है।

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माता-पिता के नियमों का महत्व

नियम बच्चों को एक सीमा में रहने और उनके परिणामों को समझने में मदद करते हैं। जब अभिभावक बच्चे के सामने सुसंगत नियम बनाते हैं और उन्हें स्वयं अपनाते हैं, तो बच्चे भी इन्हीं नियमों का पालन करते हैं। माता-पिता की स्थिरता नियमों के प्रति बच्चों के अनुशासित व्यवहार को अपनाने में सहायक होती है।

जिम्मेदारी का विकास

उम्र के अनुसार बच्चों को छोटे-छोटे काम सौंपना, जैसे खिलौनों को साफ करना, उन्हें अपने कर्तव्यों का एहसास कराता है। इस प्रकार के कार्यों से बच्चे जिम्मेदार बनते हैं। अभिभावक देखेंगे कि रोजमर्रा के जीवन में जिम्मेदारी लाने से बच्चे अनुशासित और आत्मनिर्भर बनते हैं।

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दिनचर्या का पालन

खान-पान, खेल और सोने का निश्चित समय बच्चों को समय का महत्व समझाता है। जब अभिभावक समय के प्रति सजग रहते हैं और एक निश्चित रूटीन अपनाते हैं, तो बच्चे भी समय प्रबंधन और आत्म-नियंत्रण का महत्व समझते हैं।

अनुशासन में रहना

अच्छा बर्ताव करने पर बच्चों को पुरस्कार देना या उनकी तारीफ करना उन्हें अनुशासन में रहने के लिए प्रेरित करता है। माता-पिता खुद ऐसा व्यवहार करके बच्चों को जिम्मेदार रवैया अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। सकारात्मक सुदृढीकरण बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाता है और उन्हें अनुशासन को एक गुण के रूप में स्वीकार करने में मदद करता है।

धैर्य का महत्व

बच्चों को सिखाते या सुधारते समय माता-पिता को धैर्य अपनाना चाहिए। उनका शांत बर्ताव बच्चों को भी धैर्यवान बनाता है। जो अभिभावक धैर्य से अनुशासन सिखाते हैं, वे बच्चों को सुरक्षित महसूस कराते हैं और उन्हें सजा के डर से बचने के बजाय गलतियों से सीखने के लिए प्रेरित करते हैं। यही बच्चों में आत्म अनुशासन का गुण विकसित करता है।

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