Pilot Vs Gehlot Reconciliation Formula: राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट के बीच खींची राजनीतिक प्रतिद्वंदता की तलवारें म्यानों में नहीं जा सकी हैं. सुलह के सेमीफाइनल का परिणाम नहीं आने से पायलट खेमे में अंदरखाने काफी हलचल मच गई है. पायलट आज फिर से दिल्ली को रवाना हुए हैं.
News Jungal Desk: गहलोत और पायलट (Pilot Vs Gehlot Controversy) के बीच बीते साढ़े 4 साल से चल रही जंग का फाइनल अब नजदीक आता दिख रहा है. पार्टी आलाकमान के साथ सेमीफाइनल मुकाबले के तौर पर हुए सुलह मैच (Reconciliation Formula) का नतीजा फिलहाल सामने नहीं आ सका है. इसकी वजह से पायलट कैम्प दुविधा की स्थिति में पड़ी है. वहीं परदे के पीछे नेताओं ने कुछ बेहतर होने की उम्मीदे भीं अब तक नहीं छोड़ी हैं. पायलट समर्थक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी के बाद आज उनके बेहद नजदीकी मंत्री मुरारीलाल मीणा पीसीसी में पहुंचे.
उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से मुलाकात की. दोनों के बीच घंटेभर बंद कमरे में बातचीत हुई. गोविंद डोटासरा ने पायलट गहलोत विवाद का जिक्र करे बगैर बस इतना कहा कि पीसीसी कार्यालय पार्टी का एक मंदिर है. यहां तमाम नेता कार्यकर्ता आते ही रहते हैं. खबर है कि मंत्री मुरारी मीणा ने डोटासरा से मुलाकात से पहले सचिन पायलट से भी मुलाकात करके बातचीत की थी. माना जा रहा है कि वे पायलट के दिल की बात पीसीसी के प्रदेशाध्यक्ष तक पहुंचाने आये हों कि सुलह का फॉर्मूला नहीं आ पा रहा है तो अब उनके पास भी समय नहीं है. वे पार्टी के आश्वासन के भरोसे अपने राजनीतिक कैरियर को दांव पर नहीं लगा सकते. क्योंकि ये सिर्फ पायलट का ही सवाल नहीं है बल्कि उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे उन विधायकों का भी है जिन्हें पार्टी के टिकट कटने का अब खतरा सता रहा है.
गहलोत कैम्प में मचा हड़कंप
राजनीति के जानकार कहते हैं सियासत में जो दिखाया जाता है वो कभी सच नहीं होता. गहलोत पायलट की सुलह की तस्वीर भी अब बेमानी लगने लगी है. गहलोत में आस्था रखने वाले नेता बेफिक्र हैं कि पायलट को इतना कुछ नहीं मिलने जा रहा है कि वो इसकी चिंता करें. वहीं पायलट कैम्प के लिए आलाकमान की ‘देखो और प्रतीक्षा करो’ की नीति सियासी मर्ज को बढ़ाने के लिए ही काफी है. लगता है इस दर्द की दवा आलाकमान के पास भी नहीं है.
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