भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की।(RBI का बड़ा फैसला) इस नीति में अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनाए रखने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
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मौद्रिक नीति के प्रमुख बिंदु
रेपो दर में कटौती
- RBI ने रेपो दर 0.25% घटाकर 6.25% कर दी।
- पांच वर्षों में पहली बार रेपो दर में कटौती की गई, पिछली बार मई 2020 में इसे घटाया गया था।
- मौद्रिक नीति रुख ‘तटस्थ’ रहेगा।
आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति
- वित्त वर्ष 2025-26 में GDP वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान।
- मुद्रास्फीति 4.2% तक घटने की उम्मीद, जबकि चालू वित्त वर्ष में यह 4.8% रहने की संभावना।(RBI का बड़ा फैसला)
- खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट की उम्मीद।
- मुख्य मुद्रास्फीति में कुछ बढ़ोतरी संभव, लेकिन यह मध्यम स्तर पर बनी रहेगी।
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बैंकिंग और वित्तीय सुधार
- बैंकों के लिए विशेष इंटरनेट डोमेन ‘बैंक डॉट इन’ और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए ‘फिन डॉट इन’ होगा।
- इससे ऑनलाइन वित्तीय सेवाओं की सुरक्षा और प्रमाणिकता बढ़ेगी।(RBI का बड़ा फैसला)
वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य
- RBI ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को चुनौतीपूर्ण बताया, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत और जुझारू करार दिया।
- चालू खाते का घाटा (CAD) टिकाऊ स्तर के भीतर रहने की उम्मीद।
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 31 जनवरी तक 630.6 अरब डॉलर था।
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अगली बैठक की तारीख
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 7-9 अप्रैल को होगी।
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RBI के फैसले का असर
RBI की इस नीति का उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है। रेपो दर में कटौती से ब्याज दरों में कमी आएगी, जिससे कर्ज लेना सस्ता होगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, RBI वैश्विक चुनौतियों के प्रति सतर्क है और भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत एवं लचीला बनाए रखने के लिए संतुलित नीति अपना रहा है।