याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर करके कहा कि आरबीआई व भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा जारी अधिसूचनाएं मनमाना और तर्कहीन होने के साथ ही संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन करती हैं। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।
News Jungal Desk: बिना फार्म और पहचान प्रमाण के दो हजार रुपये के नोट बदलने की अनुमति के खिलाफ दायर जनहित याचिका का भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India/ RBI) ने दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया है।
RBI की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिका को भारी जुर्माना लगाते हुए खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने तमाम निर्णयों में कहा है कि अदालतों को नीतिगत मामलों में अपना हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। आरबीआई की दलील सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि अदालत उचित निर्णय ही पारित करेगी।
वहीं, याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर कहा कि आरबीआई व भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) द्वारा जारी अधिसूचनाएं मनमाना, तर्कहीन होने के साथ ही संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन भी करती हैं।
याचिका में यह भी कहा गया कि बड़ी मात्रा में दो हजार की नोट या तो लोगों की तिजोरी पहुंच गई है या फिर अलगाववादियों, आतंकवादियों, माओवादियों, ड्रग तस्करों, खनन माफियाओं और भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा की गई हैं।
सितंबर के बाद भी वैध बने रहेंगे दो हजार रूपये के नोट: RBI
आरबीआई गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास के बयान के बाद भी दो हजार रुपये के नोटों का भविष्य 30 सितंबर के बाद क्या होगा, इसको लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। एक तरफ तो उन्होंने कहा है कि 30 सितंबर के बाद इन नोटों की वैधानिकता चालू रहेगी, वहीं यह भी कहा है कि 30 सितंबर तक क्या स्थिति रहती है, उसको ध्यान में रखकर आगे फैसला किया जाएगा।