करीब 125 साल पहले एस्पिरीन दवा का आविष्कार हुआ था. दुनियाभर में इसकी सबसे लोकप्रिय टैबलेट डिस्प्रिन है. आमतौर पर किसी भी तरह के दर्द में लोग तुरंत इसको ले लेते हैं. जिन लोगों को सिरदर्द की शिकायत रहती है, वो अक्सर इसको खुद लेते रहते हैं. डिस्प्रिन के लगातार सेवन के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं.
सिरदर्द से बचने के लिए ली जाने वाली डिस्प्रिन यानी एस्प्रिन दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है. जिन लोगों को दिल का दौरा पड़ हो, डॉक्टर उन्हें रोजाना यह दवा लेने की सलाह देते हैं. हालांकि इसके लगातार सेवन के कई जोखिम भी हैं.
दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट ‘डॉ श्रीकांत शर्मा‘ के अनुसार डिस्प्रिन और एस्प्रिन में खास अंतर नहीं होता है. दोनों ही में एसिटाइल सैलिसिलिक एसिड यानी एएसए होता है. डिस्प्रिन में सॉल्ट यानी मुख्य तत्व एस्प्रिन ही पाया जाता है और ये कोटेड दवा होती है. वहीं एस्प्रिन पर कोई कोटिंग नहीं होती और ये कम से लेकर ज्यादा पावर की दवा हो सकती है. दूसरी ओर डिस्प्रिन ज्यादा तेज दवा मानी जाती है और दर्द में तुरंत राहत के लिए इसे वरीयता दी जाती है. हालांकि इसका नियमित सेवन खून को पतला कर देता है और पाचन तंत्र पर भी बुरा असर डालता है.
डिस्प्रिन की टेबलेट सिरदर्द के अलावा शरीर में दर्द, दिल के दौरे में, माइग्रेन, स्ट्रोक, किसी तरह की सूजन, शरीर में अकड़न, बुखार और एक्ने के इलाज में भी ली जा सकती है लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है.
डिस्प्रिन का सेवन लिवर एवं किडनी को करता है खराब
लंबे वक्त तक डिस्प्रिन लेने से धीरे-धीरे लिवर खराब होने लगता है. इससे गंभीर बीमारियां जन्म लेने लगती हैं. किडनी की सेहत भी इससे प्रभावित होती है. डिस्प्रिन से एनलजेसिक नेफ्रोपैथी हो सकती है यानी किडनी बिना कोई संकेत दिए कमजोर होती चली जाती है और एक दिन काम करना बंद कर देती है.
NSAID के तहत आने वाली दवा होने के कारण डिस्प्रिन नियमित तौर पर लेना ब्लडप्रेशर बढ़ा देता है. ऐसे में जिन्हें पहले से ही हाई बीपी की शिकायत है, उन्हें भी यह दवा डॉक्टर की सलाह के बगैर कतई नहीं लेनी चाहिए.
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