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महाभारत में भी है राजदंड का जिक्र किया गया है, किस धातु का बना है Sengol, किन 3 चीजों का है प्रतीक

भारत के नए संसद भवन के 28 मई 2023 को होने वाले उद्घाटन समारोह में पहुंचने वाली देश दुनिया की दिग्गज हस्तियों में सेंगोल यानी राजदंड बनाने वाले ज्वैलर्स का परिवार भी शामिल है. जानते हैं कि भारत में राजदंड का इतिहास क्‍या है? इसका किन-किन देशों में चलन है.

 भारत का नया संसद भवन पूरी तरह से बनकर तैयार है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित ने घोषण की है कि 28 मई 2023 को उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन में सेंगोल यानी “राजदंड” “the scepter को स्‍थापित करेंगे. उनकी इस घोषणा के बाद से ही राजदंड को लेकर सियासत गरमा गई हैं.लोग तरह तरह की बातें कर रहे है । दरअसल, भारत में राजदंड को हमेशा से सत्‍ता की असीम ताकत का प्रतीक माना जाता रहा है. इतिहासकारों के मुताबिक, राजदंड की शुरुआत चोलवंश से हुई थी . वहीं, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राजदंड का चलन मौर्य और गुप्‍त साम्राज्‍य के दौरान भी था. वहीं, महाभारत में भी राजदंड का जिक्र किया गया है।

भारत में यह परंपरा रही है कि राजा के राज्‍याभिषेक की प्रक्रिया में तिलक करके मुकुट पहनाया जाता था. इसके बाद राजगुरु राजा के हाथ में एक छड़ी देते हैं. राजा के हाथ में पकड़ाई जाने वाली ये छड़ी ही राजदंड कहलाती है. वहीं, दुनिया के दूसरे देशों में राज्‍याभिषेक की प्रक्रिया में राजा के सिर पर ताज पहनाने के बाद हाथ में राजदंड देने का चलन रहा है. रोमन साम्राज्‍य में इस तरह के कई उदाहरण मौजूद हैं. रोम, इजिप्‍ट और मेसोपोटामिया में भी राजाओं के हाथ में या उनके सिंहासन के पास राजदंड रखने की परंपरा रही है. ब्रिटेन में भी इसकी परंपरा है.

कहां से आया सेंगोल शब्‍द
सेंगोल शब्‍द की उत्‍पत्ति तमिल शब्‍द सेम्‍मई से हुई थी . सेंगोल शब्‍द का अर्थ धर्म, निष्‍ठा और सच्‍चाई से लगाया जाता है. राजा का अपने साम्राज्‍य से जुड़ा कोई भी फैसला तभी मान्‍य होता है , जब वह राजदंड को हाथ में लेकर निर्णय सुनाता था. इतिहास में कई ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं, जब राजा किसी लंबी यात्रा पर जाने से पहले राजदंड हाथ में देकर राज्‍य के शासन की जिम्‍मेदारी किसी दूसरे व्‍यक्ति को सौंप देते थे. भारत को जब 1947 में अंग्रेजों की गुलामी से स्‍वतंत्रता मिली तो सत्‍ता हस्‍तांतरण के दौरान प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के हाथ में सेंगोल दिया गया था. अब इस सेंगोल को नए संसद भवन में स्‍पीकर की सीट के पास स्‍थापित किया जाएगा ।

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