Shantanu Naidu: रतन टाटा के साथ अपने गहरे और सशक्त रिश्ते के लिए मशहूर शांतनु नायडू, जिन्होंने टाटा समूह में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं, अब अपनी नई परियोजना ”बुकीज” पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
यह वही शांतनु नायडू हैं, जो रतन टाटा के साथ उनके आखिरी वर्षों में बहुत करीबी थे। रतन टाटा के निधन के बाद, नायडू ने अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने का फैसला किया और अब वह एक नए उद्देश्य के साथ काम कर रहे हैं।
बुकीज की शुरुआत (Shantanu Naidu New Project):
”बुकीज” एक ऐसी परियोजना है जिसका उद्देश्य भारतीयों में पढ़ाई की आदत को फिर से जागृत करना है। यह एक ऐसा समुदाय है जिसमें लोग सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा होकर चुपचाप पढ़ाई करते हैं।
नायडू का मानना है कि आजकल के समाज में लोग सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर इतना समय बिता रहे हैं कि पढ़ाई का महत्व घटता जा रहा है। इस परिदृश्य में बुकीज एक पहल के रूप में सामने आई है, जो लोगों को किताबों की ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।
बुकीज की शुरुआत मुंबई में हुई थी, और अब इसका विस्तार पुणे, बेंगलुरु, और अब जयपुर तक हो चुका है। हाल ही में, शांतनु नायडू ने जयपुर बुकीज के लॉन्च की घोषणा की और पाठकों को रविवार, 8 दिसंबर को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
उन्होंने लिंक्डइन पर एक फॉर्म भी साझा किया, जिसमें जयपुर के पुस्तक प्रेमियों को इस विशेष इवेंट के लिए साइन अप करने का मौका दिया गया।
Bookie’s Mission and Vision
शांतनु नायडू के अनुसार, बुकीज का मुख्य उद्देश्य समाज में पढ़ाई की संस्कृति को फिर से जागृत करना है। वह मानते हैं कि पहले लोग घंटों किताबों का अध्ययन करते थे |
लेकिन अब सोशल मीडिया के रील्स और वीडियो देखकर उनका समय कटने लगा है। नायडू ने एक बार अपने बेंगलुरु में आयोजित रीडिंग सत्र में कहा था, ”पढ़ाई एक मानवता का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे हमें फिर से समझना होगा।”
नायडू इस प्रोजेक्ट को अन्य भारतीय शहरों में भी फैलाने की योजना बना रहे हैं। दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद, और सूरत जैसे शहरों में बुकीज को लाने के लिए उनकी तैयारियां चल रही हैं। उनका मानना है कि इन शहरों में भी लोग पढ़ाई के प्रति अपनी रुचि को फिर से जागृत करेंगे, और बुकीज के जरिए यह संभव हो सकेगा।
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Shantanu Naidu Bookies Movement:
रतन टाटा और शांतनु नायडू के बीच गहरे और आत्मीय रिश्ते थे। रतन टाटा ने अपनी वसीयत में शांतनु नायडू को एक महत्वपूर्ण हिस्सेदार बनाया था। नायडू को टाटा समूह के एक करीबी सदस्य के रूप में देखा जाता था और रतन टाटा के साथ उनके रिश्ते में विश्वास और साझेदारी का अद्भुत उदाहरण था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रतन टाटा ने अपनी वसीयत में महाप्रबंधक नायडू को ”गुडफेलो” नामक अपने वेंचर में हिस्सेदारी दी थी। गुडफेलो एक पहल है जिसका उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है। इसके अलावा, रतन टाटा ने नायडू के लिए शिक्षा ऋण को भी माफ कर दिया था, जो उनके योगदान और निष्ठा का प्रमाण था।
Shantanu Naidu Education:
शांतनु नायडू का शिक्षा जीवन भी प्रेरणादायक है। उन्होंने अपनी एमबीए की डिग्री कॉर्नेल विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। इसके बाद, उन्होंने 2017 में टाटा ट्रस्ट से जुड़कर समाजसेवा की दिशा में काम करना (shantanu naidu career) शुरू किया।
नायडू टाटा समूह के संस्थापक परिवार की पांचवीं पीढ़ी से संबंधित हैं। यह उनके लिए एक गर्व की बात है कि वह टाटा परिवार से जुड़े हुए हैं, और रतन टाटा के साथ मिलकर उन्होंने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में योगदान दिया है।
Shantanu Naidu Aim
अब शांतनु नायडू का ध्यान बुकीज जैसे सामाजिक उद्देश्यों पर है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।
शांतनु नायडू का मानना है कि तकनीकी विकास के साथ-साथ हमें पढ़ाई और मानसिक विकास के महत्व को समझना चाहिए, और बुकीज जैसे समुदाय इसके लिए एक आदर्श साबित हो सकते हैं।नायडू का मानना है कि पुस्तकों और ज्ञान के प्रति उत्साह बढ़ाने से एक स्वस्थ और जागरूक समाज का निर्माण हो सकता है।
Conclusion
शांतनु नायडू का जीवन एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाता है कि जीवन में बदलाव लाने के लिए हमें अपनी इच्छाओं और उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
रतन टाटा के करीबी सहयोगी होने के बाद, नायडू ने अपनी नई दिशा में कदम रखा है और ”बुकीज” जैसी परियोजनाओं के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में काम कर रहे हैं। नायडू का यह कदम यह सिद्ध करता है कि एक व्यक्ति की निष्ठा और मेहनत किसी भी समस्या का समाधान ढूंढ सकती है।
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