डिम्पल की हार बदला लेने को सपा अध्यक्ष ने चल दी चाल
-भाजपा के शिवकुमार बेरिया को शामिल कर रसूलाबाद से घेरेंगे पाठक को
-उपेक्षा के कारण विधानसभा चुनाव में छोड़ी थी सपा
-जॉइनिंग की पटकथा के सूत्रधार थे विधायक अमिताभ और रूमी
शालिनी द्विवेदी
कानपुर(Kanpur): मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे चार बार के विधायक पूर्व कैबिनेट मंत्री शिव कुमार बेरिया की सपा में वापसी हुई | उन्होंने रसूलाबाद में 300 समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी में सोमवार को वापसी की। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में उन्हें शामिल कराया और लोकसभा चुनाव में जीजान से जुट जाने को कहा। अखिलेश कन्नौज लोकसभा सीट से लड़ सकते हैं।
कन्नौज सीट पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। वजह है 2019 में डिम्पल यादव की हार। भाजपा के सुब्रत पाठक ने उन्हें हराया था। रसूलाबाद (सु) विधानसभा क्षेत्र के सपाइयों की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। इसी वजह से बेरिया संदेह के घेरे में आ गए थे। हालांकि एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा कि एक तो शिवकुमार बेरिया को सफाई का मौका नहीं दिया गया, ऊपर से उनकी उपेक्षा नाराजगी और पार्टी छोड़ने का कारण बनी।
पूर्व मंत्री शिवकुमार बेरिया सीसामऊ, बिल्हौर और रसूलाबाद से चार बार विधायक रहे हैं। पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी कहे जाने वाले बेरिया अखिलेश से मतभेद के चलते वह पार्टी छोड़कर 2022 में भाजपा में शामिल हो गए थे। उनसे बातचीत में उनका दर्द छलका। बोले, ‘भाजपा ने उन्हें कभी तरजीह नहीं दी। शामिल होने के बाद किसी स्थानीय नेता तक ने फोन नहीं किया। बैठकों में बुलाने की तो दूर की बात है।’ बेरिया कहते हैं कि 2022 से अब तक किसी भाजपा नेता या कार्यकर्ता का फोन तक नहीं आया। वरिष्ठता का सम्मान तक भाजपा वालों ने नहीं किया।
इस मौके पर अखिलेश ने भी पार्टी में उनका योगदान बताते हुए उन्हें सम्मान दिया। फिलहाल मुरझाए से दिखने वाले बेरिया गदगद हैं। वह लखनऊ से सीधे कचहरी के निकट टुनटुन होटल में सर्वदलीय साथियों से मिले और किस्सागोई करते रहे।
हालांकि शामिल होने की पटकथा वह भाजपा में रहते हुए अखिलेश यादव से दो बार मिलकर लिख चुके थे। एक बार तब जब नेताजी (मुलायम सिंह यादव) का निधन हुआ था तो बेरिया मातमपुरसी को सैफई गए थे। दूसरी मुलाकात अखिलेश से बीते शुक्रवार को लखनऊ में हुई थी।
सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शिवकुमार बेरिया का राजनीति में अपना अलग कद है। उन्हें शिवपाल का करीबी माना जाता है। उपेक्षा के चलते वह खिन्न होकर भाजपा में चले गए थे। पर कभी भी न सपा और न ही उसके नेताओं पर हल्ला बोला। अखिलेश से मिलकर बेरिया ने राजनीति में गरमाहट पैदा कर दी।
पार्टी में शामिल होते समय बकौल बेरिया, उनके साथ रसूलाबाद विधानसभा क्षेत्र से तीन सौ के करीब समर्थक थे। वह सपा में दलित चेहरा के रूप में जाने जाते रहे हैं। कन्नौज लोकसभा क्षेत्र की रसूलाबाद सीट से वह विधायक थे। कन्नौज से लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव का लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। कन्नौज से 2019 के चुनाव में डिम्पल यादव की हार के कारणों में बेरिया फैक्टर भी चर्चा में आ जाता था।
हालांकि उनका कहना था कि उन्हें पक्ष रखने का अवसर तो दिया जाए। तब उन्हें किसी कार्यक्रम में सुब्रत पाठक के साथ देखा गया था। इसी पर सपा में बेरिया विरोधियों ने अखिलेश के कान भर दिए। यह मतभेद दूर करने में करीब दो साल लग गए।
बेरिया के आने से कन्नौज लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी को मजबूती मिलने की बात कही जा रही है। सपा प्रदेश मंत्री केके शुक्ला, पूर्व मंत्री सुरेंद्र मोहन अग्रवाल, कानपुर अध्यक्ष फ़ज़ल महमूद, ग्रामीण अध्यक्ष मुनींद्र शुक्ला, सतीश निगम, हसन रूमी, नितेन्द्र यादव, अपर्णा जैन, दीपा यादव आदि ने हर्ष व्यक्त किया।
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