
सुनीता विलियम्स की वापसी
अमेरिकी की स्पेस एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बुधवार (19 मार्च) को धरती पर लौटेंगे।(Sunita Williams) स्पेसक्राफ्ट मंगलवार (19 मार्च) सुबह 10.35 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से छोड़ा जा चुका है। भारतीय समयानुसार, बुधवार सुबह 3.30 बजे यह स्पेसक्राफ्ट लैंड करेगा। इस सफर की कुल अवधि करीब 17 घंटे की होगी।
समंदर में लैंडिंग
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर स्पेसएक्स क्रू कैप्सूल में समंदर में लैंड करेंगे। इस कैप्सूल को खोलने के बाद अंतरिक्ष यात्री को स्ट्रेचर पर लाया जाएगा। जबकि, यह किसी बीमारी के कारण नहीं बस नासा के सेफ्टी प्रोटोकॉल का हिस्सा है।
स्पेस में रहने से शरीर पर कौन से प्रभाव
महीनों तक स्पेस में रहने के कारण अंतरिक्ष यात्री के शरीर में कई बदलाव आ जाते हैं। गुरुत्वाकर्षण के कमी के कारण से उनके संतुलन और मांसपेशियों पर असर पड़ता है। ISS पृथ्वी की ओर फ्री-फॉल में रहता है, जिससे वहां वजनहीनता महसूस होती है। जब अंतरिक्ष यात्री स्पेस में ज्यादा समय बिताते हैं, तो उनका शरीर इस स्थिति का आदी हो जाता है। इसके कारण, जब वे वापस आते हैं, तो उन्हें सीधे चलने में कठिनाई होती है।(Sunita Williams)
शरीर पर ग्रैविटी की कमी के प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण की कमी से शरीर का संतुलन बनाए रखने वाला सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। जब अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौटते हैं, तो उनका शरीर फिर से गुरुत्वाकर्षण को महसूस करने की कोशिश करता है, जिससे उन्हें चक्कर आना, कमजोरी और स्पेस मोशन सिकनेस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, वे मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए व्य्यायाम करते हैं, लेकिन फिर भी हड्डियों और मांसपेशियों को नुकसान होता है।(Sunita Williams)
स्पेस में जून 2024 में हुए थे रवाना
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 5 जून 2024 को अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए थे। उनका ISS पर ठहरने का प्लान कम समय के लिए था, लेकिन स्टारलाइनर यान में हीलियम लीक और प्रोपल्शन सिस्टम में खराबी के कारण वापसी में देरी हुई। सितंबर 2024 में, स्टारलाइनर अंतरिक्ष यात्रियों के बिना पृथ्वी पर लौटा, जिससे अन्य स्पेस यान के लिए डॉकिंग पोर्ट खाली हुआ।
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ड्रैगन कैप्सूल के मदद से हुई वापसी
नासा ने सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को वापस लाने के लिए स्पेसएक्स के ड्रैगन क्रू कैप्सूल को चुना। यह कैप्सूल अब तक 49 बार लॉन्च हो चुका है और 44 बार ISS की यात्रा कर चुका है। ड्रैगन कैप्सूल की 29 बार रीफ्लाइट हो चुकी है, जिससे इसकी विश्वसनीयता साबित होती है।