बिलेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव का श्रृंगार उज्जैन के महाकाल के तर्ज पर किया जाएगा. सिर पर मुकुट और गले में मुंडमाला के साथ भगवान शिव त्रिपुरारी अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन देंगे ।
News Jungal desk : सनातन धर्म के लोग महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं । और महाशिवरात्रि के दिन देवाधिदेव महादेव की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है और भगवान शिव के मंदिर में शिवलिंग पर शिवभक्त जलाभिषेक भी करते हैं । ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से अगर भगवान शंकर की पूजा आराधना की जाए तो सारे कार्य अच्छे से संपन्न होते हैं । और भगवान शिव के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए पवित्र नदी का जल उसके साथ भांग, धतूर ,बेलपत्र दूर्वा अर्पित किया जाता है ।
अब मेरठ में उज्जैन के तर्ज पर महाकालेश्वर के रूप में दर्शन कर पाएंगे और प्राचीन ऐतिहासिक बिलेश्वरनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर उज्जैन की तर्ज पर बाबा महाकालेश्वर रूप का श्रृंगार किया जाएगा और दरअसल श्रृंगार की खासियत की बात करें तो सिर पर मुकुट, गले में मुंडमाला के साथ भगवान के शिव त्रिपुरारी अर्धनारीश्वर रूप में भी दर्शन भक्त कर सकते है ।
यह मंदिर का महत्व
बिल्वेश्वरनाथ मंदिर के महत्व की जाए तो इस मंदिर का इतिहास 5000 वर्ष पुराने रामायण काल से जोड़ा जाता है. मंदिर की संरक्षक सुधा गोस्वामी ने बताया कि मंदोदरी द्वारा भगवान भोले बाबा की यहां विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती थी । उसी का स्वरूप है कि मंदोदरी को रावण जैसा विद्वान पति मिला था और तबसे लेकर अब तक विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करी जाती है ।
भस्म से होगी आरती
महाशिवरात्रि के पावन दिन पर शाम 7:00 बजे सबसे पहले भोले बाबा व माता पार्वती का विवाह का भव्य नज़ारा वालों को देखने को मिलेगा और उसके बाद महाकालेश्वर के दर्शन होंगे और तत्पश्चात शाम सात बजे से भस्म से महाआरती की जाएगी । और जिसके लिए विशेष रूप से व्यवस्था करी गई है । और जिससे किसी भी भक्त को कोई परेशानी ना हो.बताते चलें कि यह श्रृंगार को मेरठ के एक गुप्त दान दाता द्वारा बीकानेर से चांदी द्वारा तैयार कराया गया है और इसको बनाने के लिए 3 महीने का समय लगा था । सबसे खास बात यह है कि मंदिर में जो शिवलिंग है उसे भी स्वयंभू शिवलिंग बताया जाता है ।
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