मुर्दा पहुंचा जिलाधिकारी कार्यालय, चार महीने पहले मंडलायुक्त ने जिंदा करने के दिए थे आदेश

न्यूज जंगल डेस्क :- कानपुर देहात (Kanpur Dehat) का एक ऐसा मामला जिसने अब जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली सावल खड़े कर दिए हैं। एक बुजुर्ग किसान को अधिकारियों ने कागजों पर मृत घोषित कर दिया है अब वह किसान खुद को जीवित साबित करने के लिए सालों से अधिकारियों के चौखट के चक्कर काट रहा है, बुजुर्ग किसान खुद को जीवित साबित करने के लिए तहसील के अधिकारियों से लेकर डीएम से भी गुहार लगा चुका हैं, लेकीन आधिकारी इस बात को लगातार नजरअंदाज करते आ रहें, हैरानी की बात तो यह की बुजुर्ग किसान ने कानपुर के मंडलायुक्त डॉ राजशेखर को भी प्रार्थना पत्र देकर खुद को जीवित करने के लिए गुहार लगाई थीं।

जिसके बाद आयुक्त ने डीएम सीडीओ को जांच सौंप कर रिर्पोट मांगी थीं। जिसके बाद जिले की जिम्मेदार अधिकारियों ने जांच कराकर कार्रवाई करने की बात कही थी लेकिन आज तक ना तो जांच हुई ना ही कार्रवाई किसान आज भी अधिकारियों के चौखट काटने को मजबूर है

कानपुर देहात (Kanpur Dehat) के ब्लॉक मालासा क्षेत्र के ग्राम सिथरा बुजुर्ग निवासी राम अवतार को सचिव ने कागजों में मृत घोषित कर दिया जिसकी वजह से बुजुर्ग किसान को तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जब कई महीनों से उसको किसान सम्मान निधि व वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिली तो उसने अधिकारियों के चौखट के चक्कर काटना शुरू कर दिया काफी समय तक चक्कर काटने के बाद उसको पता चला कि कागजों में उसे मृत घोषित कर दिया गया है जिसकी वजह उसकी सारी सरकारी सुविधाएं रुकी हुई है।

अब जैसे ही किसान ने खुद को मृत होने की बात सुनी तो वह परेशान हो गया और उसने फिर से तमाम अधिकारियों के पास खुद को जिंदा साबित करने के लिए चक्कर काटना शुरू कर दिया तहसील से लेकर जनपद की जिलाधिकारी कार्यालय तक उसने खूब दौड़ भाग की लेकिन अधिकारियों ने इस पूरे मामले को नजरअंदाज कर दिया जिसके बाद उसने कानपुर के आयुक्त से शिकायत की पूरे मामले में अपर आयुक्त प्रशासन प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने सीडीओ को जांच कराने के साथ दोषी पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे मामले में काफी समय बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो राम अवतार ने दोबारा शिकायत मंडल आयुक्त डॉ राजशेखर से की इस पर आयुक्त ने डीएम व सीडीओ को जांच कराने के साथ दोषी कर्मचारी पर कार्रवाई कर 15 दिसंबर तक रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन आज तक ना तो जांच का पता है ना क्या कार्रवाई हुई उसका कुछ पता चला है किसान आज भी अधिकारियों की चौखट के चक्कर काटने को मजबूर हैं

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