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मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान और बढ़ सकता है तापमान,मार्च में ही आ सकती है मई वाली गर्मी!

UP Weather Update: मौसम वैज्ञानिक डॉ. सुभाष का कहना है कि 29 जनवरी के बाद से कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं बना रहा है, जिस कारण से मौसम गर्म हो रहा है. इस बार जनवरी में भी करीब 8 पश्चिमी विक्षोभ बनने चाहिए थे, दो ही बने हैं.

News Jungal desk : ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते प्रदूषण का असर उत्तर प्रदेश के मौसम पर पड़ रहा है । और इस बार पश्चिमी विक्षोभ के कम बनने के कारण फरवरी ने तो गर्मी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और समय से पहले गर्मी की आहट से मौसम बदल रहा है । और अगर ऐसा ही हाल रहा तो आने वाले दिनों में मार्च में ही पारा 40 डिग्री के पार जा सकता है । और सर्दी के दिनों में कम सर्दी और गर्मी का समय से पहले आना यह मौसम के चक्र को प्रभावित कर रहा है । और तापमान के साथ मेरठ के एयर क्वालिटी इंडेक्स में भी बढ़ोतरी हो रही है । और हवा की रफ्तार धीमी पड़ने से शहर की हवा दूषित हो गई है । और एनसीआर में मेरठ सबसे प्रदूषित रहा है।

मौसम वैज्ञानिक डॉ. सुभाष का कहना है कि 29 जनवरी के बाद से कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं बन रहा है और जिस कारण से मौसम गर्म हो रहा है । और इस बार जनवरी में भी करीब 8 पश्चिमी विक्षोभ बनने चाहिए थे । दो ही बने हैं.  इसका असर फरवरी में भी देखने को मिला है । और मौसम कार्यालय पर दिन का अधिकतम तापमान तकरीबन तीस डिग्री व न्यूनतम तापमान चौदह डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है । और मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि फरवरी और मार्च में मौसम का गर्म होना ठीक नहीं है । और आने वाले दिनों में भी इसका असर मौसम पर दिखाई प़ड़ेगा । इन दिनों में तापमान सामान्य ही होना चाहिए ।

उन्होंने आगे  बोला कि मौसम वैज्ञानिक तापमान बढ़ना फसलों के लिए भी ठीक नहीं है । और तेज हवाओं के चलने से दो दिन पहले मेरठ की हवा में सुधार हुआ था । और बीते दिनों हवा की गति धीमी होने से एयर क्वालिटी फिर से बढ़ गई है । लगातार बढ़ रहा एक्यूआई स्तर शहर की जनता के लिए हानिकारक है । मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान में अभी बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी । और फरवरी माह में गर्मी ने तकरीबन 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है । और जानकारी के अनुसार 122 वर्ष में फरवरी माह में इतनी गर्मी नहीं हुई है ।

किसानों की फसल पर संकट 
किसानों का कहना है कि पश्चिमी यूपी में तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल झुलस सकती है । और समय से पहले मौसम का गर्म होना और तापमान सामान्य से ऊपर जाने के साथ गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है । और वर्तमान मौसम गेहूं की फसल के लिए अनुकूल नहीं है । और ऐसे में उत्पादन और गेहूं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा । और किसान 15 से 20 जनवरी तक गेहूं की पछेती प्रजाति की बुवाई करते हैं । ऐसे में वर्तमान मौसम गेहूं की फसल के लिए अनुकूल नहीं है ।

मरीजों की बढ़ रही तादाद 
गेहूं की फसल के लिए तापमान कम होना चाहिए और मौसम में नमी होनी चाहिए, और यहां फरवरी की शुरुआत से ही मौसम के तेवर तल्ख हो गए. है । इससे गेहूं की फसल पर संकट पैदा हो गया है । वहीं मौसम की वजह से मरीजों की तादाद भी बढ़ रही है । डॉक्टर्स का कहना है इस मौसम में सभी को अपना खास ख्याल रखने की जरुरत है ।

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