सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मौत की सजा के तरीके को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई थी. मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले को आधुनिक साइंस और तकनीक के दृष्टिकोण से देख सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से चर्चा शुरू करने और यह जांचने के लिए डेटा एकत्र करने के लिए कहा कि क्या भारत में मौत की सजा (Death Penalty) देने के लिए फांसी से कम दर्दनाक तरीका हो सकता है ।
News jungal desk : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चर्चा शुरू करने और यह जांचने के लिए डेटा एकत्र करने के लिए कहा कि क्या भारत में मौत की सजा (Death Penalty) देने के लिए फांसी से कम दर्दनाक तरीका हो सकता है । और कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह इस मामले में एक पैनल भी बनाएगा । मौत की सजा के तरीके को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई थी ।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने मौत के दोषियों के लिए दर्द रहित मौत की सजा की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. जनहित याचिका में फांसी के बजाय गोली मारने, इंजेक्शन लगाने या करंट लगाने का सुझाव दिया गया है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने PIL पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम इस मामले को आधुनिक साइंस और तकनीक के दृष्टिकोण से देख सकते हैं. क्या आज फांसी सबसे अच्छा तरीका है ।
चीफ जस्टिस ने , ‘एक विकल्प यह होगा कि हमारे पास अदालत के सामने कुछ बेहतर आंकड़े हों कि दर्द आदि के मामले में फांसी से मौत का क्या प्रभाव पड़ता है.’ उन्होंने बोला , ‘जब मौत की सजा दी जाती है, तो इसे जिला मजिस्ट्रेट और जेल अधीक्षक की उपस्थिति में निष्पादित किया जाता है । बेशक कुछ रिपोर्ट हो सकती हैं. लेकिन क्या वे कैदियों के दर्द की सीमा का संकेत देती हैं?’
वहीं मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने बोला कि , ‘कैदियों के दर्द की सीमा का प्रश्न विवाद के अधीन नहीं है, दर्द की न्यूनतम मात्रा का मुद्दा भी विवाद में नहीं है. प्रश्न जो बना रहता है वह यह है कि विज्ञान क्या प्रदान करता है? क्या यह घातक इंजेक्शन प्रदान करता है? फैसला कहता है नहीं. अमेरिका में पाया गया कि घातक इंजेक्शन सही नहीं था.’ मामले में सुप्रीम कोर्ट दो मई को सुनवाई करेगा ।
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