देश की सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में इस समय जजों (Supreme Court Judge) की संख्या 34 है. लेकिन आने वाले 6 महीने में सुप्रीम कोर्ट में 7 जज रिटायर होंगे. इसके बाद रिक्तियां फिर से पैदा हो जाएंगी. सबसे पहले मई में जस्टिस एमआर शाह और दिनेश माहेश्वरी रिटायर होंगे ।
News Jungal desk : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आने वाले छह माह में सात जज सेवानिवृत्त हो जाएंगे । और जिससे सर्वोच्च न्यायालय में सात रिक्तियां पैदा हो जाएंगी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस समय कोई रिक्त नहीं है । अधिकृत जजों (Supreme Court Judge) की संख्या 34 है, जो इस समय पूरी है । फरवरी में एक साथ सात जजों की नियुक्ति होने से सुप्रीम कोर्ट में रिक्तियां समाप्त हो गई थीं । रिटायर होने की कड़ी में सबसे पहले मई में जस्टिस एमआर शाह और दिनेश माहेश्वरी का नाम है । और इनके बाद जून में जस्टिस केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी और वी. रामासुब्रह्मण्यम सेवानिवृत्त होंगे ।
इसके बाद जुलाई और अक्टूबर में जस्टिस कृष्ण मुरारी और रविंद्र भट्ट रिटायर होंगे । और जस्टिस जोसेफ, एमआर शाह और अजय रस्तोगी कॉलेजियम के सदस्य हैं, जो सुप्रीम कोर्ट में और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति करता है । इसके बाद 25 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस एसके कौल सेवानिवृत्त होंगे । जस्टिस कौल भी कॉलेजियम के सदस्य हैं ।
सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में पांच वरिष्ठतम जजों का कॉलेजियम सर्वोच्च अदालत में जजों की नियुक्तियां करता है । और ये जज हाईकोर्ट से लाए जाते हैं जो वहां या तो मुख्य न्यायाधीश होते हैं या फिर उनकी जज के रूप में कम से कम 10 वर्ष की सेवा होती है । इन जजों को मेमोरंडम ऑफ प्रोसीजर (MOP) यानी नियुक्ति के ज्ञापन के जरिये चुना जाता है । इसके बाद इनकी सिफारिशें सरकार को भेजी जाती हैं । जो जांच के बाद उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी करती है ।
हाईकोर्ट में जज की नियुक्ति प्रक्रिया जटिल
सुप्रीम कोर्ट की तुलना में हाईकोर्ट जज की नियुक्ति प्रक्रिया जटिल होती है । और हाईकोर्ट में 25 प्रतिशत पद जिला न्यायपालिका से प्रमोशन के आधार पर भरे जाते हैं और बाकी पद बार से सीधे रखे जाते हैं । और वकीलों और जिला जज को प्रमोट करने के लिए पहले हाईकोर्ट का तीन जजों का कॉलेजियम उनके नाम प्रस्तावित करता है । उनके नामों पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से टिप्पणी ली जाती है । इसके बाद नाम सीधे केंद्र सरकार को भेजे जाते हैं. केंद्र सरकार इन नामों की खुफिया जांच करती है और अपनी रिपोर्ट के साथ इसे सुप्रीम कोर्ट को भेजती है ।
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