कारगिल युद्ध में शहीद पिता के सपने को पूरा करने के लिए बेटे प्रज्वल (Prajwal Samrit) ने 9 बार एसएसबी का इंटरव्यू दिया. उसके बाद उनका चयन भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में हुआ. उनके पिता का सपना था कि बेटा भारतीय सेना में अधिकारी बने
News Jungal Desk :– प्रज्वल के जन्म से ठीक 45 दिन पहले उनके पिता लांस नायक कृष्णजी समरित 1999 में कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे । और पुलगांव के रहने वाले कारगिल शहीद कृष्णजी चाहते थे कि उनका बड़ा बेटा, जो तब दो साल पांच माह का था । एक अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त करे। अब उनका छोटा बेटा यह सपना पूरा करने जा रहा है ।
प्रज्वल जून के पहले सप्ताह में देहरादून में प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में कैडेट के रूप में शामिल होने के लिए तैयार हैं. अपने बड़े भाई कुणाल के इंजीनियरिंग में जाने के बाद, प्रज्वल (23) ने अपने पिता के सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया है । जो अंततः परिवार में सभी की इच्छा बन गई थी . हालंकि प्रज्वल के लिए यह आसान नहीं था, जिन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नौ बार सेवा चयन बोर्ड (SSB) के साक्षात्कारों का सामना करना पड़ा है ।
प्रज्वल ने बताया, ‘यह मेरा आखिरी प्रयास था इसलिए मुझे एक मजबूत बैकअप योजना तैयार करनी पड़ी. मैंने कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) को क्रैक किया और इस महीने भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) इंदौर और कोझिकोड से ऑफर मिला.’ प्रज्वल की मां सविता (52) ने बोला कि भले ही कारगिल युद्ध में उन्होंने अपने पति को खो दिया था लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि एक बेटा उनके सपने को पूरा करेगा ।
उन्होंने कहा, ‘मेरे पति मेरे बड़े बेटे को एक आर्मी ऑफिसर बनते देखना चाहते थे. कुणाल के ऐसा न कर पाने के बाद, हमें उम्मीद थी कि प्रज्वल ऐसा करेगा. मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है.’ सविता पुलगांव के आर्मी हॉस्पिटल में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं. उनकी शादी साल 1991 में कृष्णजी से हुई थी. कृष्णाजी के कारगिल जाने से पहले दंपति त्रिवेंद्रम, बेलगाम और कोलकाता में रहते थे. कृष्णजी के माता-पिता नहीं रहने के कारण सविता अपने माता-पिता के घर के पास पुलगांव में रहने लगीं
.प्रज्वल ने कहा, ‘हम सही तारीख नहीं जानते हैं, लेकिन हम 30 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि मनाते हैं.’ 2018 में, एनडीए प्रवेश की तैयारी के लिए प्रज्वल ने बारहवीं कक्षा के बाद ड्रॉप लिया था और पहला एसएसबी पास किया था और उन्होंने बताया कि वह मेडिकल परीक्षण में वह चूक गए थे . उसी साल वह पुणे चले गए और फर्ग्यूसन कॉलेज में बीएससी में एडमिशन ले लिया. उन्होंने बोला , ‘मैंने एसएसबी के सात और इंटरव्यू दिए. हर बार मैं स्क्रीनिंग से आगे निकल गया लेकिन कॉन्फ़्रेंस में आउट हो गया था ।
9वें प्रयास में हुए सफल
अपने 8वें असफल प्रयास के बाद, प्रज्वल ने लगभग हार मान ली थी. लेकिन उनके पड़ोसी नितिन कोठे ने उनसे अपने अंतिम अवसर तक प्रयास करने का आग्रह किया. पुलगांव भारतीय सैन्य स्कूल में शिक्षक कोठे ने बोला , ‘कई लोगों ने उन्हें सेना के जीवन के खतरों के बारे में चेतावनी भी दी थी. प्रज्वल ने 8 एसएसबी के बाद लगभग हार मान ली थी, लेकिन मैंने उससे कहा कि आखिरी बार उम्मीद मत खोना. उसने अपने जीवन में सभी परीक्षाओं में टॉप किया है. उसने सब कुछ अपने दम पर किया ।
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