कोलकाता मेट्रो की तरफ से एक प्रोजेक्ट भारत की पहली अंडर वाटर मेट्रो का परीक्षण किया जा रहा है। यह टनल करीब 520 मीटर लंबा है। जिसे हुगली नदी के भीतर बनाया गया है। टनल का निर्माण ग्रीन लाइन कॉरिडोर पर सियालदह और एस्प्लेनेड के बीच किया गया है।

News Jungal Desk : 9 अप्रैल को भारतीय मेट्रो के इतिहास में एक ऐतिहासिक परीक्षण होने जा रहा है। देश की सबसे पुरानी कोलकाता मेट्रो भारत में पहली बार अंडर वाटर मेट्रो underwater metro का ट्रायल होने को है। यह ट्रायल हुगली नदी के तल में किया जायेगा। यह टनल 520 मीटर लंबी है जो साल्ट लेक डिपो से हावड़ा मैदान वाले रूट में सियालदह और एस्प्लेनेड के बीच पड़ता है। हुगली नदी के भीतर जिस टनल का निर्माण किया गया है, इससे होकर 6 कोच वाली दो मेट्रो का आज परीक्षण किया जाएगा ।
अंडर वाटर मेट्रो रूट कोलकाता मेट्रो की ग्रीन लाइन पर स्थित है जो 16.6 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर है. यह ईस्ट कोलकाता में आईटी हब साल्ट लेक सेक्टर पांच और वेस्ट में हावड़ा मैदान को जोड़ता है। यह रूट सियालदह और एस्प्लेनेड से होकर गुजरता है. इस कॉरिडोर का पहला फेज सेक्टर पांच से सियालदह के बीच है।
बैटरी की मदद से मेट्रो का होगा ट्रायल
आज के ट्रायल में दो मेट्रो ट्रेन साल्ट लेकर सेक्टर पांच से हावड़ा मैदान की तरफ जाएगी. इसी रूट पर सियालदह और एस्प्लेनेड के बीच अंडर वाटर टनल है। इस पूरे सेक्शन की दूरी 2.5 किलोमीटर है. सियालदह तक मेट्रो सामान्य रूप से आएगी. इसके बाद टनल में एस्प्लेनेड तक का सफर बैटरी की मदद से होगा. टनल में अभी तक इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा नहीं हुआ है.
ईस्ट बाउंड टनल पर होगा परीक्षण
कोलकाता मेट्रो ग्रीन लाइन या ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की बात करें तो यह 16.6 किलोमीटर लंबा है। यह सेक्टर पांच और हावड़ा को जोड़ता है। सेक्टर पांच से सियालदह के बीच मेट्रो का संचालन पहले से जारी है जिसके बीच कुल छह स्टेशन आते हैं। सियालदह और एस्प्लेनेड के बीच टनल है जो हुगली नदी के अंदर बनाया जा रहा है । इस टनल की लंबाई 520 बताई जा रही है. सियालदह-एस्प्लेनेड सेक्शन 2.5 किलोमीटर लम्बा है. उसके बाद एस्प्लेनेड-हावड़ा सेक्शन 4.5 किलोमीटर का है. इसी टनल में आज मेट्रो का ट्रायल किया जाएगा. ईस्ट बाउंड टनल की मदद से मेट्रो साल्ट लेक सेक्टर पांच से हावड़ा की तरफ जाएगी। वापस में वेस्ट बाउंड टनल का काम अभी भी अधूरा है।
1984 में शुरू हुई थी कोलकाता मेट्रो
अगर अंडर वाटर ट्रायल सफल हो जाता है तो कोलकाता मेट्रो के लिए यह बड़ी उपलब्धी हासिल होगी । भारत में सबसे पहले मेट्रो का संचालन कोलकाता में ही साल1984 में किया गया था. उसके 18 साल बाद दिल्ली में साल 2002 में मेट्रो का संचालन हुआ था.
यह भी पढे : महिलाएं क्यों नहीं पहनती पैरों में सोने का आभूषण ,आइये जानते है