News Jungal Desk Kanpur : महंगाई से जूझते पाकिस्तानी लोग, रमजान को लेकर बेहद चिंतित हैं।आम लोगों को चिंता है कि वो सहरी और इफ्तार में अपने परिवार को खाने में क्या देंगे. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रमजान के महीने में पाकिस्तान में महंगाई और बढ़ेगी. वहीं, राजनीतिक अस्थिरता से जूझती पाकिस्तान की सरकार महंगाई कम करने में नाकाम है
डिफॉल्ट के कगार पर पहुंचे पाकिस्तान के लोग महंगाई से त्रस्त हैं. इस्लाम के पवित्र महीने रमजान को लेकर उनकी चिंताएं और बढ़ गई है. पाकिस्तान में महंगाई 1974 के बाद से अब तक के उच्चतम स्तर पर है. हर जरूरी सामान की कीमतें आसमान छू रही है।और रमजान में कीमतों के और बढ़ने की आशंका है ।इस्लामाबाद में रहने वाले बुरहान का कहना है कि हालत इतनी खराब है कि अगर वो अपने छह बच्चों को दिन में एक वक्त का खाना खिला देते हैं तो वो अपने को खुशनसीब मानते है ।
20 करोड़ आबादी वाले पाकिस्तान में हर आम इंसान की यही कहानी है. लोग अपने बच्चों को तीन के बजाए एक वक्त भी ठीक ढंग से खाना नहीं खिला पा रहे हैं. रमजान की बात करते हुए बुरहान मायूस हो जाते हैं. वो कहते हैं कि उनका परिवार सरकारी सब्सिडी वाले आटे पर निर्भर है. वो कहते हैं, ‘लेकिन अब तो सब्सिडी वालेआटे पर निर्भर है. वो कहते हैं, ‘लेकिन अब तो सब्सिडी वाला आटा भी महंगा हो गया है. 20 किलो आटे की बोरी जो 600 रुपये में मिलती थी, अब उसके लिए 1,100 रुपये है ।
‘अपने बच्चों को नए कपड़े नहीं दिला पाऊंगा’
बुरहान ने बताया कि वो कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं जिसका बाजार अभी काफी मंदा हो गया है. उन्होंने परिवार कोको दो वक्त की रोटी खिलाने के लिए अपनी कार भी बेच दी. उनके तीन बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे ।
रमजान में और बढ़ेगी महंगाई
पाकिस्तान में फिलहाल आटा 134 रुपये/किलो, चावल 350 रुपये/किलो, काला चना 300 रुपये/किलो, मसूर 200 रुपये/किलो, चीनी 110 रुपये/किलो, दूध 160 रुपये/किलो, खाद्य तेल 550 रुपये/किलो मिल रहा है.