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तुलसी उपवन में तुलसी जयंती के मंच पर दीपू का हैप्पी बर्थडे

मंत्री ने कहा, आम प्रेम ने रमेश अवस्थी को सांसद बनाया
कानपुर। तुलसी जयंती के तुलसी उपवन में मंच पर भाजपा उत्तर जिला अध्यक्ष दीपू पांडे का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया।
वहां पर उपस्थित लोगों का कहना था कि यह तो भाजपा के नेताओं का महिमामंडन का कार्यक्रम हो गया है। मंच पर मुख्यातिथि जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, सांसद रमेश अवस्थी, देवेंद्र सिंह भोले, विधायक सुरेंद्र मैथानी, एमएलसी अरुण पाठक, सलिल विश्नोई, कानपुर उत्तर जिला अध्यक्ष दीपू पांडे, नगर के एक पत्रकार आदि उपस्थित थे।


लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए अभिनव तिवारी स्वागत में जुटे थे। सचिव विजय नारायण तिवारी मुकुल द्वारा मानस संगम को बढ़ाने में नाना जी देशमुख व विष्णुकांत शास्त्री का ही नाम लिया गया।
लोग यह कहते सुने गए कि मानस संगम के संस्थापक स्व.डॉ बद्रीनारायण तिवारी के पौत्र अभिनव के लिए तुलसी उपवन में तुलसी जयंती कार्यक्रम को लांचिंग पैड बना दिया गया। मुख्य अतिथि स्वतंत्र देव सिंह ने तुलसी की प्रेम की परिभाषा व्याख्यायित करते हुए सांसद रमेश अवस्थी का आम (मैंगो) प्रेम बताना नहीं भूले। बोले, अवस्थी जी ने आम से प्रेम किया और लोकसभा टिकट पाकर सांसद बने। प्रेम का उन्होंने विभिन्न तरह से बखान किया। अवस्थी भी अपना चित्रकूट प्रेम बताना नहीं भूले। कहने लगे, वह बाँदा से टिकट के लिये प्रयासरत थे तो चित्रकूट की सेवा का अवसर मिला था। इससे पूर्व मंच से ही प्रदीप दीक्षित ने दीपू पांडे का जन्मदिन मनाने की घोषणा की। सभी उन्हें बधाई देने लगे। फिर उनका स्वागत हुआ। उपहार में फूल माला और पौधे दिए गए। तुलसी जयंती के मंच पर दीपू का हैप्पी बर्थ डे देखकर लोग असहज से हुए। पर मूल विषय से हटकर नेता गुणगान चर्चा में रहा। लोगों ने दबी जुबान से कहा भी अब पहले जैसी बात नहीं रही।


सामाजिक समरसता के प्रतीक थे गोस्वामी तुलसीदास
तुलसी जयंती पर आयोजित
साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था मानस संगम के कार्यक्रम में वक्ताओं ने रामचरित मानस को सामाजिक समरसता का महाग्रन्थ बताया। मोतीझील के तुलसी उपवन में 43वें तुलसी जयंती समारोह में काव्य व भक्ति संगीत की रसधार बही तो वक्ताओं ने आज की सामाजिक प्रासंगिता में रामचरित मानस खरा बताते हुए अनुसरण का आव्हान किया।
शुरुआत भक्ति संगीत अर्चना से हुई, कविता सिंह के निर्देशन में लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी के बच्चों की भजन प्रस्तुति दी। आचार्य योगेश की रामस्तुति एवं कजरी गायन के साथ ही सपना बनर्जी के भक्ति संगीत नें श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यूपी सरकार के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि रामचरितमानस प्रेम की परिभाषा है। आचार्य डॉ चंद्राशु जी नें कहा कि कौन कहेगा कि गोस्वामी तुलसी दास नहीं है, कौन कहेगा स्वामी विवेकानंद नहीं है इसी तरह मैं कहूँगा बद्री नारायण तिवारी भी अपने संस्कृतिक सुगमता के जरिए हमारे बीच में हैं।
सांसद रमेश अवस्थी ने कहा तुलसीदास सामाजिक समरसता के प्रतीक थे | सांसद देवेंद्र सिंह भोले नें कहा कि इस कार्यक्रम में सुबह आना एक सामाजिक संदेश होता है। जिसकी शुरुवात डॉ बद्री नारायण तिवारी जी नें की थी। एमएलसी
सलिल विश्नोई नें भी विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के अध्यक्ष भाजपा कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने भगवान राम के चारित्रिक विवरण पर प्रकाश डालते हुए उदबोधन के साथ कार्यक्रम का समापन किया |
कार्यक्रम में डॉ• बद्री नारायण तिवारी स्मृति सम्मान 2024 कत्थक नृत्यांगना श्रीमती सीमा ढींगरा को प्रदान किया गया। कवि रामायण धर दुवेदी, दीन मोहम्मद दीन, दिलीप दुबे, विश्वनाथ तिवारी विश्व (उन्नाव) आदि नें रचनाओं से
तुलसीदास को काव्यांजलि समर्पित की।
कार्यक्रम संयोजक मानस संगम सचिव विजय नारायण तिवारी ‘मुकुल’ व संचालन डॉ• प्रदीप दीक्षित ने किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में एम•एल•सी• अरुण पाठक, विधायक सुरेन्द्र मैथानी, पार्षद पवन गुप्ता, कवि रामायण धर द्विवेदी के साथ ही मनोज सेंगर, रीता शास्त्री, दीपू पाण्डेय, आचार्य पीयूष जी, सुरेश गुप्ता, उमंग अग्रवाल, अभिनव तिवारी, अशोक मिश्रा, सतीश तिवारी, मयंक शुक्ल, राम गोपाल आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

तुलसी उपवन में त्रेतायुग के डिजिटल दर्शन ठप
-हाल में उद्यान विभाग का ताला, चर्चा तक नहीं हुई तुलसी जयंती पर

कानपुर। मानस संगम के संयोजक स्वर्गीय डॉ बद्री नारायण तिवारी का तुलसी उपवन को हाईटेक विकसित करने का सपना धूल धूसरित हो गया। यह उनकी 43 वर्ष पुरानी परिकल्पना थी जिसे नगर निगम के सहयोग से साकार किया गया था। बाद में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की आर्थिक मदद से मोतीझील स्थित तुलसी उपवन को यूपी का पहला रामायण थीम पार्क की शुरुआत की गई थी। स्पिरिचुअल सर्किट के तहत इसका निर्माण किया गया। विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर इसका ट्रायल भी किया गया था। इस पार्क को बनाने कोई तीन साल लग गए। राम के दर्शन करने हैं तो अयोध्या जाइये और तुलसी बाबा के लिए कानपुर आइए। आपको त्रेता युग के दर्शन डिजिटली होंगे। ट्रायल और उद्घाटन के बाद रखरखाव का ऐसा संकट आया कि रामायण थीं पार्क मटियामेट हो गया। आपको बता दें कि इस पार्क के इनडोर हाल में मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही आपको वर्चुअल राम चरित मानस के दर्शन होते थे जिसमें आप हाथों के मोशन के आधार पर पन्ने पलटकर उसे पढ़ सकेंगे। इसके अलावा चार बड़ी स्क्रीनों को भी लगाया गया जिसमें श्रीराम की जीवनी के बारे में बताया गया। रामचरित मानस आधारित रामकथा ओपन थियेटर में दिखाने की व्यवस्था की गई थी। एनिमेटेड मूवीथीम पार्क में इनडोर हाल के बग़ल में एक ओपन थियेटर भी बनाया गया है जिसमें लंबी चौड़ी स्क्रीन पर श्रीराम के जीवन के साथ रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास के जीवन को भी एनिमेटेड मूवी दिखाई जाती थी। मूवी में एनिमेशन के ज़रिये यह दिखाया जाता था कि तुलसी के मन में कैसे श्रीराम के प्रति आस्था जागी और उन्होंने रामचरित मानस लिखी। यही नहीं रामकथा के कानपुर कनेक्शन
को भी दिखाया गया। बिठूर स्थित सीता रसोई और लव-कुश आश्रम के भी दर्शन मूवी के माध्यम से कराने की व्यवस्था थी। श्रीराम और सीता ने जहां-जहां अपना जीवन व्यतीत किया, उन सभी को मूवी में दिखाया गया।
तुल्सी उपवन एक हिस्सा मेट्रो रेल के उपयोग में है। मूर्तियों का उचित रखरखाव न होने से ये दुर्दशा को प्राप्त हो रही हैं।
योगी सरकार के मंत्री असीम अरुण नहीं स्वतंत्रदेव सिंह रविवार को मोतीझील तुलसी जयंती के कार्यक्रम में आएंगे। इनके अलावा दोनों सांसद भी होंगे।

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