उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग हादसे के बाद बचाव अभियान में तीसरी बार रुकावट आ गई है. इस बार की बाधा को सबसे बड़ा माना जा रहा है. इससे उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ध्वस्त सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों का भाग्य अब भी अनिश्चित बना हुआ है । बचाव अभियान के अंतिम चरण में अमेरिकी बरमा मशीन के मेटल ग्राइंडर से टकरा गई है । यह अभी तक पता नहीं है कि ड्रिलिंग कब फिर से शुरू होगी और मजदूरों को ध्वस्त सुरंग से बाहर निकाला जाएगा।
News jungal desk :- उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग हादसे (Uttarkashi Silkyara Tunnel Collapse) के बाद बचाव अभियान में तीसरी बार रुकावट आ गई है. इस बार की बाधा को सबसे बड़ा माना जा रहा है. इस बात की संभावना बढ़ती जा रही है कि अब ऊपर से नीचे की ओर ड्रिलिंग के साथ ही मैनुअल ड्रिलिंग का फैसला किया जा सकता है. इससे उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ध्वस्त सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों का भाग्य अब भी अनिश्चित बना हुआ है. बचाव अभियान में शुक्रवार रात एक बड़ी समस्या आ गई. जिससे निकासी के लिए तैनात एजेंसियों को फिलहाल ड्रिलिंग रोकनी पड़ी. बचाव अभियान के अंतिम चरण में अमेरिकी बरमा मशीन के मेटल ग्राइंडर से टकरा गई. इससे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबी और अन्य केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के जरिये उत्तरकाशी बचाव स्थल पर फंसे हुए मजदूरों को निकालने की समयसीमा फिर बढ़ गई है ।
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी सिल्कयारा सुरंग में चल रहे बचाव अभियान का जायजा लेने के लिए उत्तरकाशी पहुंचे । रेस्क्यू साइट पर पहुंचे सीएम धामी ने टनल में जाकर निरीक्षण किया है । सुंरग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग वाली सड़क बिलकुल तैयार है । उस रास्ते से ड्रिलिंग मशीन गई है. वहीं उत्तराखंड के मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि सुरंग में सभी 41 लोग बिल्कुल ठीक हैं. जिस तरह की चुनौती हमारे सामने है । वो सब जानते हैं. हमारी चुनौती सभी को किसी भी तरह से बाहर निकालने की है. पूरी टीम और विषेशज्ञ काम कर रहे हैं. हम सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. उत्तराखंड सुरंग दुर्घटना बचाव अभियान के टॉप अपडेट ये हैं ।
फंसे हुए 41 लोगों के बचाव का अंतिम चरण शुक्रवार सुबह शुरू हुआ, जिसमें अमेरिकी बरमा ने अपनी ड्रिलिंग फिर से शुरू की. हालांकि शाम को ऑपरेशन में रुकावट आ गई.
बरमा मलबे में मौजूद एक धातु ग्राइंडर से टकरा गया, जिसके कारण ड्रिलिंग रोक दी गई. यह अभी तक पता नहीं है कि ड्रिलिंग कब फिर से शुरू होगी और मजदूरों को ध्वस्त सुरंग से बाहर निकाला जाएगा.
एजेंसियों ने खुलासा किया है कि बचाव के अंतिम चरण में केवल 10-12 मीटर की ड्रिलिंग बाकी है, जिसे दोबारा शुरू करने पर 5-6 घंटे में पूरा किया जा सकता है.
अमेरिकी बरमा मशीन की बार-बार मरम्मत के कारण कई असफलताओं के बाद बचावकर्मी मैन्युअल ड्रिलिंग की विधि की खोज कर रहे हैं. हालांकि इससे बचाव की प्रक्रिया धीमी हो सकती है.
एनडीआरएफ ने बचाए गए श्रमिकों को एक स्ट्रेचर का उपयोग करके बाहर निकालने की एक विधि तैयार की है, जिसमें पहिए लगे हुए हैं. जो ड्रिलिंग पूरी होने के बाद सुरंग के अंदर जाएंगे.
एजेंसियों ने कहा है कि बचाव अभियान के अंतिम चरण के खत्म होने की अभी कोई समयसीमा नहीं है और कर्मचारी एक और दिन तक फंसे रह सकते हैं.
सुरंग की क्षैतिज ड्रिलिंग में कई असफलताओं का सामना करने के बाद बचावकर्मी ऊपर से नीचे की ओर ड्रिलिंग शुरू करने की भी योजना बना रहे हैं. अंतिम चरण में केवल 10 फीसदी हिस्सा ही साफ किया जाना बाकी है.
सरकार और एजेंसियों द्वारा अभी तक कोई निश्चित समय-सीमा नहीं किए जाने के कारण यह उम्मीद की जा रही है कि अगर बचावकर्मी मैन्युअल ड्रिलिंग विधियों का सहारा लेते हैं तो बचाव अभियान में 18-24 घंटे और लगेंगे.
उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान में अब सीमा सड़क संगठन ने ऊपर से ड्रिलिंग के लिए मशीनों को पहाड़ी की चोटी तक जल्दी से पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है. एसजेवीएन और ओएनजीसी की टीमें सिल्कयारा सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर पहुंच गई हैं. ड्रिलिंग मशीन आते ही वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू हो जाएगा.
12 नवंबर को दिवाली के दिन से सिल्क्यारा सुरंग के मलबे में 41 मजदूर फंसे हुए हैं. एजेंसियों ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है कि बचाव अभियान फिर कब शुरू होगा.
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