उद्धव ठाकरे गुट ने फ्लोर टेस्ट और सीएम के रूप में उनकी बहाली के महाराष्ट्र के राज्यपाल के आदेश के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। लेकिन महा विकास अघाड़ी सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हो रहा है।
उद्धव ठाकरे गुट ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए फ्लोर टेस्ट और सीएम के रूप में उनकी बहाली के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। लेकिन अब शर्मिंदगी से बचने के लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला उसकी सबसे महंगी गलती साबित हो रही है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में पांच-न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ नौ दिनों से मामले की सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि सरकार को बहाल करना उसके लिए एक तार्किक बात होगी बशर्ते कि उद्धव ठाकरे विधानसभा के पटल पर विश्वास मत हार जाएं। पीठ ने कहा, “तो स्पष्ट रूप से आपको विश्वास मत के कारण सत्ता से बेदखल कर दिया गया है जिसे पहले ही रद्द कर दिया गया है।”
पीठ ने आश्चर्य व्यक्त किया कि वह ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार को बहाल नहीं कर सकती है भले ही उसे विश्वास मत के लिए राज्यपाल के आह्वान को अवैध पाया गया हो। CJI चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, “हम एक ऐसी सरकार को कैसे बहाल कर सकते हैं जिसने विश्वास मत का सामना किए बिना स्वेच्छा से इस्तीफा देकर सदन में बहुमत खोया है।” खंडपीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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